भोपाल
राजधानी के छोटे तालाब के पास कमलापति महल के सामने गोंड रानी कमलापति की प्रतिमा का अनावरण हो गया. प्रतिमा अनावरण करने को लेकर मचे विवाद के बीच भोपाल महापौर आलोक शर्मा और बीजेपी विधायकों की मौजूदगी में प्रतिमा का अनावरण किया गया. 3 करोड़ की लागत से तैयार गोंड रानी कमलापति के इतिहास को दिखाने के लिए प्रतिमा को लगाया गया है. महापौर आलोक शर्मा ने अपनी परिषद का कार्यकाल खत्म होने के 2 दिन पहले प्रतिमा का अनावरण कर दिया.
भोपाल महापौर का कहना है कि उन्होंने जिला प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह की अनुमति और दूसरे मंत्रियों की मंजूरी के बाद ही कार्यक्रम रखा था. लेकिन कोई मंत्री आयोजन में शामिल नहीं हुए. जिसके कारण भोपाल नगर निगम महापौर होने के नाते उन्होंने प्रतिमा का अनावरण कर दिया. अनावरण पट्टिका में मुख्य अतिथि के तौर पर मंत्री गोविंद सिंह, मंत्री आरिफ अकील, मंत्री जयवर्धन सिंह समेत स्थानीय पार्षदों के नाम भी डाले गए हैं. हालांकी इस पूरे मामले पूरे आयोजन के दौरान स्थानीय कांग्रेसी पार्षद शबिस्ता जकी ने कार्यकर्ताओं के साथ आयोजन स्थल के बाहर धरना दिया. कांग्रेस पार्षद का आरोप है कि बिना अनुमति के भोपाल महापौर ने आयोजन कर दिया. इसकी किसी तरह की अनुमति जारी नहीं हुई थी लेकिन अपने परिषद का कार्यकाल खत्म होने से पहले आवरण का श्रेय लेने की होड़ में भोपाल महापौर ने ऐसा किया. इस दौरान कांग्रेस पार्षद ने आर्च ब्रिज की एप्रोच रोड बनाए जाने का भी विरोध जताया इस दौरान उन्होंने महापौर के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.
इसके बाद भोपाल महापौर पुरानी विधानसभा में गांधी प्रतिमा पर पहुंचे और अनशन किया. महापौर ने कांग्रेस सरकार के इशारे पर विकास कार्यों में बाधा पहुंचाने का आरोप मंत्रियों पार्षदों पर लगाया. उन्होंने कहा कि विकास कार्य में रोड़ा बनने वालों के खिलाफ उनका अभियान तेज होगा और प्रदेश और राय भोपाल वासियों को फायदा देने वाली योजनाओं पर अमल किया जाएगा. नगर निगम परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद आलोक शर्मा शहर के विकास में रोड़ा बन रहे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ देंगे.
राजधानी के छोटे तालाब पर आर्च ब्रिज पर स्थापित होने वाली रानी कमलापति की प्रतिमा लगाई गई है. प्रतिमा का प्लेटफार्म वहां बनाया गया है जहां रानी ने जल समाधि ले ली थी. 2011 में बड़े तालाब पर राजा भोज की प्रतिमा के बाद अब रानी कमलापति की स्थापना का उद्देश्य भोपाल का नवाब काल से पहले के इतिहास से लोगों को रूबरू कराना है. 17000 किलो की 32 फीट ऊंची प्रतिमा में 60 प्रतिशत तांबा, 20 प्रतिशत जस्ता, 10 प्रतिशत टीन, 5 प्रतिशत लैड और 5 प्रतिशत अन्य मैटल हैं. इसके निर्माण पर 1 करोड़ 96 लाख रुपये की लागत आई है.