नई दिल्ली
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सरकार बनाने के करीब तो पहुंच गई। लेकिन उसके कई दिग्गजों का चुनावी मैदान में चित हो जाना भाजपा की उम्मीदों के पंख को अपेक्षित उड़ान नहीं दे पाया। पार्टी वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई जैसी ब्यूह रचना की गई थी। अबकी बार 75 पार का नारा पूरा न हो पाने की पहली बड़ी वजह बन कांग्रेस का अपेक्षा के विपरीत चौंकाने वाला प्रदर्शन। दूसरा, नए चेहरे के रूप में जजपा नेता दुष्यंत चौटाला का मतदाताओं के बड़े वर्ग को लुभाने में सफल होना। वहीं, भाजपा के सभी तीर निशाने पर नहीं लगे। चुनाव को राष्ट्रवाद के पिच पर ले जाने की भाजपा की मंशा के बावजूद स्थानीय मुद्दे और सूबाई व्यक्त्तिव की लड़ाई ने मुकाबले को कड़ा बना दिया।
संख्या के आधार पर भाजपा के सरकार बनाने की संभावना प्रबल हो गई है। सरकार बनाने में निर्दलीय या जजपा में से कौर्न ंकगमेकर होगा इसकी कवायद परदे के पीछे जारी है। राजनीतिक नब्ज टटोलने वालों का मानना है कि भाजपा को अंदाजा शायद नहीं था कि हरियाणा में नतीजे करवट भी ले सकते हैं। इसलिए भाजपा कई जगहों पर अति आत्मविश्वास का शिकार होकर अपनी सीटें बचा नहीं पाई। कई मंत्री अपनी छवि और स्थानीय समीकरणों से जाल में उलझकर हारे। वहीं बागियों ने भी खेल बिगाड़ने की पूरी कोशिश की।
भाजपा ने कई स्टार चेहरों पर भी दांव लगाया था। अगर यह रणनीति निशाने पर लगती तो भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो सकती थी। जानकार मानते हैं कि भूपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर जाट मतदाताओं का भरोसा वापस पाने में काफी हद तक सफलता पाई। वहीं जेजेपी के प्रदर्शन से चौटाला परिवार का असली वारिश तय हो गया है। दुष्यंत हरियाणा का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। हुड्डा को किनारे करने वालों की मंशा भी कांग्रेस के प्रदर्शन से धूमिल हो गई है। जानकार मानते हैँ कि हरियाणा की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर खड़ी हो गई है। नतीजों से आने वाले दिनों में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं।
भाजपा का मत प्रतिशत गिरा, कांग्रेस जस की तस : हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम में सत्ताधारी दल भाजपा का मत प्रतिशत 22 प्रतिशत गिर गया है। अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी और उसे 58 प्रतिशत मत मिला था। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में भाजपा को 36.3 प्रतिशत मत मिले हैं।
इस विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव से अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के आसपास ही मत प्रतिशत मिला है। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 28.42 प्रतिशत मत मिला था जबकि इस विधानसभा चुनाव में उसे कुल मतदान का 28.1 प्रतिशत मिला है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के अनुसार भाजपा 79 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी, वहीं अब 40 सीटों पर सिमट
गई है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटें मिली हैं। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस के भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि साथियों के साथ मिलकर मजबूत सरकार बनाएंगे। चुनाव जीतने वाले सात निर्दलियों में से पांच भाजपा के बागी हैं। वहीं, सिरसा से जीते गोपाल कांडा भी भाजपा की तरफ जा सकते हैं। ऐसे में भाजपा भी सरकार बनाने का दावा कर रही है। पहली बार चुनाव में उतरी दुष्यंत चौटाला की जजपा ने 10 सीटें जीती हैं। सरकार बनाने में उनकी भी भूमिका बड़ी मानी जा रही है।