श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को खत्म कर दिया गया है. राज्य सरकार ने शुक्रवार को नजरबंदी खत्म करने का आदेश जारी किया था. शनिवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद फारूक अब्दुल्ला से मिलने उनके घर पहुंचे. उनसे मुलाकात के बाद आजाद ने केन्द्र सरकार के फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य वाला दर्जा वापस दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर हमें जम्मू-कश्मीर के कल्याण के लिए काम करना है तो वह राजनीतिक प्रक्रिया के बिना नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि वे लोग वास्तव में फारूक साहब और दूसरों के साथ उनकी सेहत और उम्र को देखने के बाद भी कठोर व्यवहार कर रहे हैं.
गुलाम नबी आजाद ने इस मुलाकात के बारे में कहा, "मुझे खुशी है कि मैं 7 महीने से अधिक समय के बाद फारूक साहब से बात कर सका. उन्हें नजरबंद करके रखा गया. किसी भी अपराध को अंजाम देने वाले लोगों को आमतौर पर इस तरह हिरासत में लिया जाता है, लेकिन यहां उन्हें ऐसे ही हिरासत में ले लिया गया."
आजाद बोले- लोकतंत्र में ऐसे काम नहीं चलता
फारूक से मुलाकात को लेकर आजाद ने कहा कि मैं यहां केवल अपनी व्यक्तिगत क्षमता की वजह से नहीं आया बल्कि उन सभी सांसदों और पार्टियों की ओर से आया हूं जो इनकी रिहाई के बारे में लगातार बात करते रहे हैं.
कांग्रेस नेता ने आगे केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "भारत अपने लोकतंत्र के लिए प्रसिद्ध है लेकिन इस तरह से नहीं, जहां तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को हिरासत में रखा गया. लोकतंत्र को बहाल करना पहला कदम है. नई पार्टियां एजेंसी निर्मित पार्टियां हैं. लोकतंत्र में ऐसे काम नहीं चल पाता है."
5 अगस्त से हिरासत में थे फारूक अब्दुल्ला
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद यानी 5 अगस्त को फारूक अब्दुल्ला को हाउस अरेस्ट किया गया था. इसके बाद 15 सितंबर से उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. करीब 6 महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी को खत्म किया है. हालांकि, वह अभी भी हाउस अरेस्ट हैं.