उलान उदे
पहली बार खेल रहीं मंजू रानी (48 किग्रा) ने शानदार प्रदर्शन के बूते फाइनल में प्रवेश किया लेकिन छह बार की चैंपियन एमसी मैरी कॉम (51 किलो) को शनिवार को यहां वर्ल्ड महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। छठी वरीयता प्राप्त मंजू रानी ने सेमीफाइनल में थाइलैंड की चुटहामत रकसत को 4-1 से शिकस्त दी। अब उनका सामना रविवार को फाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त रूस की एकेटरीना पाल्टसेवा से होगा। मैरी कॉम के अलावा पदार्पण कर रहीं एक अन्य मुक्केबाज जमुना बोरो (54 किग्रा) को सेमीफाइनल में हारने से ब्रॉन्ज से संतोष करना पड़ा। तीसरी वरीयता प्राप्त मैरी कॉम को यूरोपीय चैंपियनशिप और यूरोपीय खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट तुर्की की बुसेनाज काकिरोग्लू से 1-4 से पराजय झेलनी पड़ी। जमुना बोरो को शीर्ष वरीय और एशियाई खेलों की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट चीनी ताइपे की हुआंग सियाओ वेन से 0-5 से हार मिली।भारतीय दल ने मैरी कॉम के फैसले का रिव्यू मांगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ की तकनीकी समिति ने उनकी अपील खारिज कर दी। मैरी कॉम ने हार के बाद ट्वीट किया, ‘क्यों और कैसे। दुनिया को यह पता लगे कि यह फैसला कितना सही था या कितना गलत।’ पहले दौर में मैरी कॉम ने अच्छे जवाबी हमले किए और काकिरोग्लू अपने कद का फायदा नहीं उठा सकीं। दूसरे दौर में हालांकि उसने शानदार वापसी की। आखिरी तीन मिनट में तुर्की की मुक्केबाज ने दबाव बना लिया। इस हार के बावजूद मैरी कॉम ने महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा पदक जीतने का रेकॉर्ड अपने नाम किया। यह विश्व चैम्पियनशिप का उनका आठवां और 51 किलोवर्ग में पहला पदक है।
भारत के सहायक कोच और मैरी कॉम के ट्रेनर छोटेलाल यादव ने कहा, ‘मैरी ने बेहतरीन खेल दिखाया और उन्हें जीतना चाहिए था। हम इस फैसले से स्तब्ध हैं।’ हरियाणा की मंजू रानी इस साल ही राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुई हैं। उन्होंने कद काठी में अपने से ज्यादा मजबूत रखसत के सामने शानदार प्रदर्शन किया। पहले दो दौर में उन्होंने जवाबी हमले करना ही ठीक समझा। हालांकि स्ट्रांद्जा मेमोरियल की रजत पदकधारी बॉक्सर अंतिम तीन मिनट में आक्रामक हो गईं। इस तरह मंजू रानी ने अपने सीधे और तेज तर्रार मुक्कों से थाइलैंड की मुक्केबाज को काफी परेशान किया और जीत के लिए अंक जुटाए।