लालू के ‘जिन्न’ पर है तेजस्वी को भरोसा, तीन दशक पुराने फार्मूले को भुनाने में जुटी पार्टी

पटना
एक समय ऐसा भी था जब बिहार की राजनीति में जिन्न शब्द ट्रेंड करता था और लालू (Lalu Prasad) अपने जिन्न के बलबूते बिहार की सत्ता पर करीब डेढ़ दशक तक शासन करते रहे. आज फिर एक बार तेजस्वी (Tejasvi Yadav) को भी लालू के उसी जिन्न पर भरोसा जग गया है. बिहार की राजनीति से लालू भले ही दूर हो गए हैं लेकिन आज भी लालू का फार्मूला ना सिर्फ चर्चा में है बल्कि 3 दशक बाद भी उसी फार्मूले के जरिये आज चुनाव लड़ने की तैयारी है. लालू अपने जिन्न के बलबूते बिहार की सत्ता पर करीब डेढ़ दशक तक शासन करते रहे और आज फिर एक बार तेजस्वी को भी लालू के इसी जिन्न पर भरोसा जग गया है.

तेजस्वी यादव ने खुले मंच से यह एलान किया है कि अब जिन्न को साथ लेकर चलने से ही मिशन 2020 कामयाब होगा. दरअसल इस जिन्न का मतलब अतिपिछड़ों से है. कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह के मौके पर तेजस्वी यादव ने ना सिर्फ केवल जिन्न की चर्चा की थी बल्कि उस जिन्न को पार्टी से जोड़ने की भी वकालत की. दरअसल तेजस्वी को इस जिन्न की ताकत का बखूबी अंदाजा है क्योंकि उन्हें पता है कि जिसने लालू-राबड़ी की सरकार को लगातार 3 टर्म तक सत्ता में रखा वो कितना ताकतवर होगा. यही कारण है कि तेजस्वी को लालू का जिन्न अब रास आने लगा है और उन्हें ये भी पता है कि केवल MY समीकरण के बलबूते वो सत्ता में नहीं आ सकते. इसके लिए हर हाल में उन्हें अतिपिछड़ों का वोट हासिल करना जरूरी है.

90 के दशक में जब ईवीएम के बदले बैलेट पेपर पर चुनाव हुआ करता था उस समय यह चर्चा खूब थी कि बैलेट बॉक्स से लालू का जिन्न निकलेगा और फिर असलियत भी यही है कि उस दौरान वाकई बैलेट बॉक्स से लालू का जिन्न भी निकलता था. दरअसल लालू का जिन्न कोई और नहीं तब का पचपुनिया वोट था जिसे आज हम अतिपछड़ा के नाम से भी जानते हैं. इसमें बिहार की करीब दो दर्जन भर जातियां हैं. 1990 से 2005 के बीच लालू अपने इसी जिन्न की बदौलत सत्ता पर काबिज रहे जिस पर आज नीतीश का कब्जा है. बिहार में अतिपिछड़ों का करीब 23 प्रतिशत वोट है ऐसे में तेजस्वी की नजर अब इसी महावोटबैंक पर टिकी हुई है।

पिछले 3 दशक से यह जिन्न किसी भी रूप में बिहार की सियासत का केंद्र बिंदु रहा है वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय की मानें तो यह पचपुनिया वोट (अतिपछड़ा) जिसके साथ भी गईं है. हर कीमत पर सरकार उसी की बनी है. आज यह समाज नीतीश कुमार के साथ खड़ा है तो 15 सालों से बिहार में उन्हीं की सरकार है और यही कारण है कि नीतीश सरकार लगातार अतिपिछड़ों को लुभाती भी रही है अभी अभी कैबिनेट ने अतिपछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए 10 लाख के स्पेशल अनुदान की घोषणा भी की गईं है. आरजेडी को इस जिन्न की ताकत का बखूबी अंदाजा है आखिर इसी के दम पर तो लालू लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहे हैं लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हारे हुए तेजस्वी के लिए यह लालू का जिन्न किसी संजीवनी से कम नहीं है.

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