नई दिल्ली
प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों को लेकर मोदी सरकार ने जो बदलाव किया था उसका असर अब दिखाने लगा है। अब आम लोग समाज के गुमनाम नायकों के नाम पद्म सम्मान के लिए नामित कर सकते हैं। इस शुरूआत का नतीजा यह निकला कि अगले साल अब चयन समिति के सदस्यों को इस सम्मान के लिए नाम खोजने में बहुत मुश्किल होगी। कारण यह है कि इस बार रेकॉर्ड संख्या में इन पुरस्कारों के लिए आवेदन आए है। मोदी सरकार ने परंपरा शुरू की थी कि अलग-अलग क्षेत्रों में खास काम करने वाले लोगों को पद्म सम्मान के लिए कोई भी व्यक्ति किसी के भी नाम की अनुशंसा कर सकेगा। इसके लिए अलग से वेबसाइट बनाई गई थी।
इस बार 50 हजार से ज्यादा आवेदन आ सकते हैं
सरकार द्वारा की गई इस पहल का मकसद था कि इस सम्मान को समाज के गुमनाम हीरो तक पहुंचाया जाए ताकि उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके। पद्म सम्मानों में गुमनाम नायकों को अधिक जगह मिलने के बाद सुदूर क्षेत्रों से इसके लिए खूब आवेदन आने लगे हैं। अब तक 30 हजार से अधिक आवेदन सरकार के सामने आ गए हैं जो एक रेकॉर्ड है। सूत्रों के अनुसार जिस तरह तरह लगातार आवेदन आ रहे हैं उससे इस बार इसकी संख्या 50 हजार पार करने की उम्मीद है। पिछले साल 15 हजार के करीब आवेदन आए थे। अगले साल के पद्म सम्मानों के लिए नाम दिए जाने की अंतिम तारीख 15 सितंबर है। पद्म सम्मानों के लिए किसी भी व्यक्ति को नामित करने के लिए अधिकतम 800 शब्दों में उनका योगदान बताना होता है।
पीएम ऑफिस चुनता है नाम
पद्म सम्मान देने वालों की कमिटी पीएम की अगुवाई में ही नाम का चयन करती है। सूत्रों के अनुसार पीएमओ ने नागरिकों की ओर से भेजे गए आवेदन को शॉर्टलिस्ट कर उसे 15 अक्तूबर तक भेज देने को कहा है ताकि समय के साथ उनके कामों की पहचान की जा सके। साथ ही उनके काम को पूरे देश में अधिक से अधिक प्रचारित करने की रणनीति भी बनाई जाएगी। पीएम मोदी ने अब तक जारी परंपरा की आलोचना करते हुए कहा था कि पहले यह सम्मान मंत्रियों और नेताओं की सिफारिश पर दिए जाते थे। सरकार अब देश के ‘गुमनाम हीरो’ के योगदान को सबसे प्रतिष्ठित सम्मान से नवाज रही है।
बॉलिवुड से परहेज, आम लोगों के नाम को जगह
पद्म सम्मान में आम लोगों के बीच से उभरे नायकों को जगह देने के लिए बॉलिवुड स्टार्स को तरजीह देने की परंपरा को कम किया गया है। अब इसमें बहुत ही कम नाम शामिल किए जा रहे हैं। हालांकि, कई राजनीतिक लोगों को भी इन सालों में पद्म सम्मान मिला है लेकिन अब हर साल लगभग दो दर्जन गुमनाम नायकों का नाम पुरस्कारों का सरप्राइज फैक्टर बन गया है।
1 मई से 15 सितंबर तक आवेदन
पद्म सम्मानों की तीन श्रेणी हैं- पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण। पद्म विभूषण इस सम्मान में सबसे बड़ा है। इसके पद पद्म भूषण और फिर पद्म श्री आते हैं।
किसी एक व्यक्ति को तीनों सम्मान मिल सकते हैं लेकिन इसे पाने में कम से कम 5 साल का अंतराल होना चाहिए। एक साल में अधिकतम 120 लोगों को यह सम्मान दिया जा सकता है।
इन सम्मानों के लिए नामांकन हर साल 1 मई से 15 सितंबर के बीच किया जाता है। नामांकन राज्य या केंद्र सरकार के माध्यम से आते हैं। राज्य सरकारें जिला प्रशासन से नामांकन मंगवाती हैं। इसके अलावा कोई एनजीओ, सांसद, विधायक के अलावा अब कोई व्यक्ति भी अपने स्तर पर किसी को इस सम्मान के लिए नामांकित कर सकता है।
अमेरिका से 109 NRI को बेहतर काम करने के लिए मिला सम्मान। पीएमओ के अंदर बनी एक कमिटी इसे अंतिम रूप देती है। अंत में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति लिस्ट को मंजूरी देते हैं। सम्मान पाने वाले को एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। साथ ही एक मेडल का रिप्लिका भी।
पद्म सम्मान पाने वाला व्यक्ति उसे अपने नाम के आगे-पीछे नहीं जोड़ सकता। न ही लेटर हेड या दूसरे कागज पर इसका इस्तेमाल कर सकता है। ऐसा करना गैरकानूनी है। सम्मान पाने वाले को किसी तरह की कोई सरकारी सुविधा या राशि नहीं मिलती है। 1954 से पद्म पुरस्कार हर साल दिए जाते रहे हैं। बीच में 1977-78 और 1993 से 97 के बीच ये सम्मान नहीं दिए गए थे।
सामान्यत: ये सम्मान मरणोपरांत नहीं दिए जाते। विशेष परिस्थिति में सरकार ऐसा कर सकती है। सबसे अधिक दिल्ली के 810 लोगों को मिला है यह सम्मान।
4,615 लोगों को मिला है सम्मान अब तक
पदम श्री : 3,055
पद्म भूषण : 1255
पद्म विभूषण : 307
भारत रत्न : 48