नई दिल्ली
राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने पर सवाल उठाने वाले पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद पर पार्टी के भीतर हमले तेज हो गए हैं। राहुल गांधी पर खुर्शीद की टिप्पणी से बिफरे राशिद अल्वी ने उन्हें घर को आग लगाने वाला चिराग करार दिया था और अब लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी उन्हें सीख दी है। चौधरी ने सलमान खुर्शीद के राहुल पर दिए बयान को लेकर कहा कि उन्हें बाहर बोलने की बजाय पार्टी के भीतर ही अपनी राय रखनी चाहिए।
राहुल गांधी का बचाव करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि खुर्शीद को पार्टी के स्तर पर सभी मुद्दे रखने चाहिए। चौधरी ने कहा, 'पार्टी जब राज्यों में चुनाव के लिए उतरने वाली है। तब इस तरह की टिप्पणियां कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाली नहीं हैं। बाहर बयानबाजी करने की बजाय खुर्शीद को अपनी राय पार्टी के भीतर ही जाहिर करनी चाहिए।'
उन्होंने कहा कि वह राहुल गांधी को लेकर सलमान खुर्शीद की ओर से दिए गए बयान का समर्थन नहीं करते हैं। चौधरी ने कहा, 'कई मौकों पर राहुल गांधी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह मानते हैं कि कांग्रेस की हार के लिए अध्यक्ष की नैतिक जिम्मेदारी है। इसी विचार के तहत उन्होंने पार्टी प्रेजिडेंट के पद को छोड़ने का फैसला लिया।'
अधीर रंजन चौधरी ने राहुल के इस्तीफे के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने मिसाल कायम की है। चौधरी ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देकर राहुल गांधी ने दुर्लभ उदाहरण पेश किया है।
ज्योतिरादित्य पर बोले, हम सभी कर रहे आत्मनिरीक्षण
ज्योतिरादित्य सिंधिया के आत्मनिरीक्षण की जरूरत वाले बयान पर लोकसभा में पार्टी नेता ने कहा, 'हम सभी आत्मनिरीक्षण कर रहे हैं। सभी विचारों और स्थितियों का आकलन करने के बाद ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी ने सोनिया गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की अपील की थी।'
खुर्शीद को अल्वी ने बताया था, घर जलाने वाला चिराग
गौरतलब है कि सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को कहा था, 'हम विश्लेषण के लिए भी एकजुट नहीं हो सके कि हम लोकसभा चुनाव में क्यों हारे। हमारी सबसे बड़ी समस्या यही है कि हमारे नेता ने हमें छोड़ दिया।' इस पर राशिद अल्वी ने उन पर हमला बोलते हुए कहा था, 'महाराष्ट्र से कोई और बोल रहा है, हरियाणा से कोई और बोल रहा है। ऐसा लग रहा है कि आज हमें बाहर के दुश्मनों की जरूरत ही नहीं रह गई है। घर को आग लग गई, घर के ही चिराग से। वो हालात हैं। इस तरीके से ना होकर, इकट्ठा होकर मुकाबला करने की जरूरत है।'