छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में व्याख्यान, वे दिन दूर नहीं जब आइडिया और प्रोडक्ट दोनों हमारें होंगे

रायपुर
 राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित बी.टी.आई. मैदान मंे बच्चों के लिए 46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी के तृतीय दिवस आज वैज्ञानिक व्याख्यान में अतिथि डॉ. अरिन्दम बोस, एसोसिएट प्राध्यापक, सी.ई.आई.ए.आर. टाटा, इंस्ट्रीटयूट ऑफ सोशल साइंस मुबंई द्वारा गणित विषय पर व्याख्यान दिया गया। उनका व्याख्यान नृवंश-गणित सामाजिक संस्कृति प्राथाओं पर गणित अधिगम पर अधिक्तर व्याख्यान दिए जिसमें हमारी पुराने पारंपरिक प्राथाओं सांस्कृतिक भूमिका विचार धाराओं प्राक्रियाओं व्यवहारों में गणित कि क्रियाओं के सम्मिलित होने की जानकारी दी। यह सभी गणित कि प्रक्रियाओं को समझने का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। नृवंश-गणित के फलस्वरूप संज्ञानात्मक प्रक्रिया और अधिगम क्षमता पर बहुत सारे प्रामाणित सबूत मिलते है।

यह सभी कक्षाओं में होने वाले गणित शिक्षण को प्रभावित करते है। हमारे देश में गणितीय पहेलिया हमारे लोक संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। अपने व्याख्यान में उन्होंने बिहार राज्य के मुसहर समुदाय के द्वारा उपयोग की जाने वाली प्राचीन पांरपरा एवं पहेलियों का भी उदाहरण दिया। गिनने की पुरानी पांरपरा जैसे कि रस्सी में गाठों के माध्यम से गिनती, शरीर के अंगों से गिनती का भी उल्लेख किया। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि अपने घर के बड़े बुर्जुगों से चर्चा कर उनके समय में गणित की अपनाए जा रहे विभिन्न तरीकों की जानकारी प्राप्त करें जो कि कॉफी रोचक होगा।
व्याख्यान के दूसरे वक्ता अतिथि डॉ. संजय तिवारी, विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रानिक एंव फोटोनिक्स विभाग, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर ने अपना व्याख्यान ’’वह दिन दूर नहीं जब आइडिया और प्रोडक्ट दोनांे हमारें हांेगे’’ के उद्बोधन वाक्य से प्रारंभ किया। उन्होंने वैज्ञानिक नवाचार भारत के संदर्भ में प्रस्तुत करने पर जोर दिया अपने व्याख्यान में डॉ. तिवारी ने उम्मीद जताई की राष्ट्रीय बाल विज्ञान मेले में प्रतिभागी अपने मौलिक विचारों के साथ प्रादर्श लेकर उपस्थित हुए है इनसे देश को काफी उम्मीदे है आमतौर पर हमारे विचार से ही अन्य देश प्रोडक्ट बनाकर विश्व में व्यवसाय कर रहे है।

आप देश के नए आविष्कारक हो और आपसे देश को बहुत आशा है यह समय गांधी जी के सपनों को साकार करने का सही समय है हमे अपनी ही नहीं सब की दुनिया बदलनी है उन्होंने ने कहा आज अभिजीत बैनर्जी जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला वो अपने होकर भी अपने नहीं है आजादी के पहले हमारे भारत में वैज्ञानिकों ने बहुत अच्छा काम किया परंतु आजादी के बाद आविष्कारों में कमी आने लगी परंतु अब समझ में आ गया कि बिना आविष्कार के देश आगे नहीं बढ़ सकता इसीलिए भारत में अब इनोवेशन डे सेलिब्रेट किया जा रहा है उन्होंने बताया कि हम जिस विषय को पढ़ते है उसके भाव को नहीं समझते हमें विज्ञान को विज्ञान जैसा ही पढ़ना चाहिए इसके साथ ही हमे यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जो आविष्कार कर रहे है उसका लाभ सबको मिले हमारा देश युवा शक्ति का देश है यहॉ की 54 प्रतिशत आबादी वर्किंग पापुलेशन है जिसमंे युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है और उन्हें सही दिशा देने की आवश्यकता है इसके पश्चात् उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक योजनाओं के बारे में बताया जिसमंे माय गवर्मेंट इनोवेशन के बारे में बताया जिसमें कम कीमत पर किस प्रकार विभिन्न समस्याओं का हल ढूंढ सकते है। इस योजना की सराहना पूरा विश्व करता है। इसके अतिरिक्त इग्नाइटिंग मांइडस, साइंस इंडिया फोरम, स्वयं प्रभा, नेशनल डीजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, ई-कल्प, तमन्ना से अवगत कराया गया जिसके माध्यम से हम वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ा सकते है।

हमारा भारत ग्लोबल इनोवेश इंडेक्स 2019 के सर्वे में 52 वे नबंर पर है जिसे हमे 10 नबंर पर लाना है ऐसी प्रेरणा दी इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से ही हमारा भारत वैज्ञानिक क्षेत्र में पूरे विश्व में आगे है फिर भी आविष्कार के क्षेत्र में कमी कहॉ से आई इसका कारण बताया कि हमारा देश आइडिया देता है पर उसका उपयोग पूरा विश्व करके धन अर्जित करता है। जैसे कि रमन प्रभाव जो हमारे देश की देन है जबकि उससे संबंधित प्रोडक्ट बनाकर विदेश धन अर्जित कर रहा है और वही प्रोडक्ट हमारा देश भी खरीदता है उन्होंने कहॉ कि वह समय कब आएगा जब हमारा देश निर्यात न कर आयात करेंगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमारा देश कम कीमत पर महत्वपूर्ण आविष्कार करने मंे पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है हमारे देश में ऐसा वैज्ञानिक चमत्कार होता है जो अविश्वसनीय है। साथ ही उन्होंने बच्चों को विभिन्न प्रकार के कम कीमत पर एवं कबाड़ से नए आविष्कार करने के सुझाव दिए। और कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र बताए जहॉ पर वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने कहॉ कि हमे समावेशी विकास करने की आवश्यकता है जिसमे पर्यावरण को बिना नुकसान पहुचाएं ऐसे आविष्कार करने है जिसका लाभ सबको मिल सके। उन्होंने कहॉ कि पूरे विश्व में हमारे देश की चर्चा है कि भारत वह करता है जो कोई नहीं करता। इसके साथ ही उन्होंने कम कीमत पर बने मॉडल जैसे फोल्ड स्कोप, मिट्टी कुल, फ्रिज, बॉस से बने पवन चक्की, सोलन पैनल, अगरबŸाी मशीन, डस्टबीन को झूले के रूप में, मोटर सायकल से टैªक्टर का काम आदि का मॉडल दिखाकर इस प्रकार के उपयोगी मॉडल बनाने का सुझाव दिया।

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