नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा को लेकर सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज यानी गुरुवार को राष्ट्रपति से मिल एक ज्ञापन सौंपा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के अन्य नेताओं संग दिल्ली हिंसा को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपने पहुंचीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की सरकार मूकदर्शक बनी रही। सोनिया गांधी की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली हिंसा मामले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार से राजधर्म का पालन कराने और गृह मंत्री अमित शाह को हटाने के लिए कदम उठाएं। सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के हालात खराब है और इस सिलसिले में हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों पथराव से लोगों की हत्या हुई है। दिल्ली में हिंसा होती रही मगर केन्द्र सरकार और दिल्ली की नई सरकार मूकदर्शक बनी रही। सोनिया ने कहा कि राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया है कि केन्द्र सरकार से बात करेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे।
रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद सोनिया ने संवाददाताओं से कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में हमने दिल्ली में स्थिति को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की थी। हमने राष्ट्रपति से मिलने और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपने का फैसला किया। उन्होंने ज्ञापन के कुछ हिस्से पढ़े और दावा किया कि केंद्र और दिल्ली सरकार हिंसा को लेकर मूकदर्शक बनी रहीं। गृह मंत्री और प्रशासन की निष्क्रियता से बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ।
कांग्रेस की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, 'हम इस बात को दोहराते हैं कि गृह मंत्री को हटाए जाए क्योंकि वह हिंसा को रोकने में अक्षम साबित हुए।' पार्टी ने ज्ञापन में राष्ट्रपति से कहा, 'हम आपसे आग्रह करते हैं कि नागरिकों के जीवन, संपत्ति और आजादी की सुरक्षित रखा जाए। हम आशा करते हैं कि आप निर्णायक कदम उठाएंगे।'मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के भीतर दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है वो बहुत चिंताजनक और राष्ट्रीय शर्म का विषय है। यह हालात को नियंत्रित रखने में केंद्र सरकार की पूरी विफलता का प्रमाण है। सिंह ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से कहा है कि वह सरकार से 'राजधर्म का पालन करने के लिए कहें।
राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले पार्टी शिष्टमंडल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य नेता शामिल थे।दरअसल, रविवार से लेकर मंगलवार तक नागरिकता कानून के पक्ष और विपक्ष में जमकर हिंसा हुई जिसमें अब तक 33 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा, करीब 250 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें करीब 56 से अधिक पुलिस के जवान हैं। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली यानी उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर और चांदबाग में रविवार, सोमवार और मंगलवार को लगातार हिंसा हुई। बदतर हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों में शूट के साइट के आदेश जारी कर धारा 144 लगा दी है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने रविवार को सड़क अवरुद्ध कर दी थी जिसके बाद जाफराबाद में सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प शुरू हो गई थी। दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी ऐसे ही धरने शुरू हो गए। मौजपुर में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक सभा बुलाई थी जिसमें मांग की गई थी कि पुलिस तीन दिन के भीतर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाए। इसके तुरंत बाद दो समूहों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर पथराव किया, जिसके चलते पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।कपिल मिश्रा ने पुलिस को अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था हम ट्रंप (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप) के यहां रहने तक इंतजार करेंगे। अगर रास्ता साफ नहीं किया जाता है तो फिर आम आपकी (पुलिस) भी नहीं सुनेंगे। हम आपसे (पुलिस) यह अपील करते हैं कि ट्रंप के जाने तक जाफराबाद और चांदबाग को खाली करा दें। अगर नहीं तो हमें गलियों में उतरना पड़ेगा।