राजनीति

राजीव गांधी लेकर आए थे एनआरसी, सोनिया कर रही हैं विरोध: अमित शाह 

 
नई दिल्ली

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध करने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि एनआरसी राजीव गांधी लेकर आए थे तब वह सेक्युलर था लेकिन अब सोनिया गांधी उसका विरोध कर रही हैं।  खास बातचीत में अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष दुष्प्रचार और लोगों को गुमराह कर रहा है। गृह मंत्री ने कांग्रेस और विपक्ष से सवाल किया कि क्या ये पार्टियां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले सभी मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने का बयान दे सकती हैं।
अमित शाह ने कहा, 'कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया, जो नहीं होना चाहिए था। 1950 में नेहरू और लियाकत अली खान में समझौता हुआ कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे। इस पर अमल नहीं हुआ, इसलिए यह कानून लाना पड़ा।' बीजेपी अध्यक्ष राम मंदिर मसले पर भी बोले। उन्होंने कहा कि अयोध्या ऐक्ट कांग्रेस लेकर आई थी, अब उसी फैसले पर ऐतराज क्यों है?

'छात्रों पर नहीं, दंगाइयों पर कार्रवाई करेगी पुलिस'
जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस के दाखिल होने और छात्रों पर कार्रवाई के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस छात्रों पर नहीं बल्कि दंगा करने वाले लोगों पर कार्रवाई करेगी। सार्वजनिक और जनता की संपत्ति को नुकसान से बचाने की जिम्मेदारी पुलिस की है। जांच में पता चल रहा है कि विश्वविद्यालय में बहुत सारे लोग ऐसे भी थे, जो बाहर से आए थे।

नागरिकता संशोधन विधेयक पर अलग-अलग विश्वविद्यालयों में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर अमित शाह ने कहा कि देश में जो भी विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, वे कांग्रेस के इशारे पर हो रहे हैं। कोई ये बताए कि नागरिकता संशोधन कानून से देश के मुसलमानों को क्या नुकसान हो रहा है? सभी छात्रों को नागरिकता संशोधन कानून का अध्ययन करना चाहिए। हमारी सरकार छात्रों के साथ बातचीत के खिलाफ नहीं है।

'दुष्प्रचार के कारण बन रही है भ्रांति'
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 'विरोधी पार्टियों के दुष्प्रचार के कारण लोगों में भ्रांति बन रही है। नागरिकता संसोधन विधेयक में कहीं पर भी किसी की नागरिकता वापस लेने का प्रावधान नहीं है। इसके तहत नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों को मिलेगी। ये लोग धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत आए हैं और भारत में शरण लिए हुए हैं। इनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। सालों से ये कष्टपूर्ण जीवन बिता रहे हैं।'

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