आगरा
आगरा में मौनी को कठोर से कठोर सजा दिलाने के लिए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने भी कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने जो तर्क दिए उनकी कोई काट नहीं थी। कोर्ट ने उसे गंभीरता से सुना। उसके बाद अपना फैसला सुनाया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि, मधु शर्मा ने कोर्ट में इस केस की पैरवी की। 16 गवाह पेश किए। मौनी सिंह के छोटे बेटे को भी गवाह बनाया गया। उसने यह बताया कि रात को बहन के दर्द हो रहा था। वह रो रही थी। पिता यह बोलकर उसे अपने साथ ले गए थे कि उसे दवा दिलाने ले जा रहे हैं।
यह वाकया रात करीब 12 बजे का था। इसे अहम साक्ष्य माना गया। तर्क दिया गया कि बेटे की गवाही लॉस्ट सीन है। उसके बाद बच्ची को किसी ने नहीं देखा। पिता ही उसे साथ लेकर गया था।
कोर्ट में तर्क दिया गया कि अभियुक्त द्वारा किया गया कृत्य अत्यंत गंभीर है। डीएनए और फोरेसिंक साक्ष्य हैं। जिससे यह साबित होता है कि हत्या और दुराचार करने वाला कोई और नहीं पिता है। घटना से पता चलता है कि अभियुक्त गिरे हुए चरित्र का व्यक्ति है। घटना दिल दहला देने वाली है। सभ्य समाज में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिता अपनी बेटी के साथ ऐसी हरकत करेगा।
एक पिता बच्चों का संरक्षक व रक्षक होता है। सामान्यतया किसी पुत्री का पिता अपनी पुत्री के अच्छे रहन सहन के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर सकता है। वर्तमान मामले में मौनी एक ऐसा पिता है जिसने सात वर्षीय बच्ची की इज्जत को बार-बार तार-तार किया।
पुलिस को चकमा देने के लिए खुद ही मुकदमे का वादी बन गया। ऐसे आरोपित समाज में खुलेआम घूमते रहे तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का उद्देश्य कभी सफल नहीं हो सकता है। कोई राक्षसी प्रवृत्ति का व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है। इस मामले की गंभीरता निर्भया मामले के समान है। वर्तमान समाज किसी भी दशा में ऐसे राक्षसी प्रवृत्ति के व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकता। अत: समाज में उचित संदेश पहुंचे इसके लिए वर्तमान अभियुक्त कठोर से कठोर सजा से दंडित किया जाने का पात्र है।
क्या था मामला
सात साल की मासूम बेटी से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी पिता को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। 24 नवंबर 2017 की रात करीब ढाई बजे मौनी एत्मादपुर थाने पहुंचा था। उसने पुलिस को बताया कि आदर्श मॉडल स्कूल के पास झोपड़ी डालकर रहता है। रात को उसकी सात वर्षीय बेटी, नौ वर्षीय बेटा और वह झोपड़ी में सो रहे थे। रात को आंख खुली तो बेटी लापता थी।
इसी सूचना पर हरकत में आई पुलिस ने बेटी की तलाश शुरू की थी। बालिका का शव स्कूल के बरामदे में निर्वस्त्र हालत में मिला था। वह खून से लथपथ थी। गले पर नाखून की खरोंच के निशान थे। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया था। मौनी सिंह की तहरीर पर दुराचार, हत्या और पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
इसी सनसनीखेज मामले में गुरुवार को न्यायालय का फैसला आया। बेटे के बयान ने मौनी सिंह को कठघरे में खड़ा किया था। छानबीन के बाद पुलिस ने उसे ही जेल भेजा था। उसके खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य भी जुटाए गए थे। डीएनए टेस्ट कराया था। डीएनए ने सजा दिलाने में अहम साक्ष्य का काम किया।