नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते 19 दिसंबर को लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में आरोपी बनाए गए लोगों के पोस्टर हटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली गई है और इस पर आज यानि गुरुवार को सुबह 10:30 बजे सुनवाई होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की विशेष पीठ ने सोमवार को लखनऊ के डीएम और पुलिस कमिश्नर को सीएए के विरोध में उपद्रव करने वालों के लगाए गए पोस्टर अविलंब हटाने के आदेश दिए थे। विशेष खंडपीठ ने 14 पेज के फैसले में राज्य सरकार की कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत निजता के अधिकार (मौलिक अधिकार) के विपरीत करार दिया था। अदालत ने कहा था कि मौलिक अधिकारों को छीना नहीं जा सकता है। ऐसा कोई भी कानून नहीं है जो उन आरोपियों की निजी सूचनाओं को पोस्टर-बैनर लगाकर सार्वजनिक करने की अनुमति देता है, जिनसे क्षतिपूर्ति ली जानी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि सामान्यतया न्यायपालिका में आने पर ही अदालत को हस्तक्षेप का अधिकार होता है। लेकिन जहां अधिकारियों की लापरवाही से मूल अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो, अदालत किसी के आने का इंतजार नहीं कर सकती। निजता के अधिकार के हनन पर अदालत का हस्तक्षेप करने का अधिकार है। साथ ही प्रदेश सरकार से 16 मार्च तक पोस्टर हटाने के संबंध में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे।
इस आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने उच्चस्तरीय मंथन किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के सभी पहलुओं पर मंथन और विधिक राय के लिए लखनऊ के लोकभवन में उच्चस्तरीय बैठक हुई। तमाम तकनीकी पहलुओं पर मंथन के बाद तय किया गया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जाएगी। लिहाजा, बुधवार को प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी गई है।