अध्यात्म

मौजूदा समय में युवाओं को ज्यादा जिम्मेदार और जागरूक होने की जरूरत

लेखिका: बीके डॉक्टर रीना दीदी, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, मोटिवेशन स्पीकर, विचारक एवं समाजसेवी

महामारी के समय युवा वर्ग को खुद को संभालने के साथ-साथ बच्चों एवं बूढ़ों को भी हिम्मत देनी है

भोपाल. जब पूरी दुनिया भीषण महामारी से कराह रही है, ऐसे समय में समाज का हर वर्ग अलग-अलग तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। इतिहास साक्षी है कि जब-जब इस दुनिया में संकट आया है, तब-तब युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज कोरोना महामारी के समय भी दुनिया युवाओं की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है।

युवा समाज का सबसे अहम हिस्सा हैं। महामारी के समय बच्चों एवं बूढ़ों का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे समय में युवा वर्ग को खुद को संभालने के साथ-साथ बच्चों एवं बूढ़ों को भी हिम्मत देनी है। वर्तमान समय युवाओं को जो अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी है, उनमें से कुछ इस तरह हैं

भारतीय संस्कृति की शिक्षाओं को आगे बढ़ाने की भी जिम्मेदारी
हम सबने देखा कि दूषित खानपान की शैली से भीषण महामारी ने जन्म लिया। अत: अब समय है कि हम अपने खानपान को शुद्ध बनाएं। मांसाहार को छोड़कर शाकाहार अपनाएं। मांसाहार करने से हमेशा ही मानव जीवन को खतरा उत्पन्न होता रहेगा, क्योंकि मानव का शरीर मांसाहार के लिए बना ही नहीं है। शाकाहारी भोजन को परमात्मा की याद में बनाकर एवं परमात्मा को भोग लगाकर खाने से वह मन एवं शरीर को ऊर्जा से भर देता है। आज की युवा पीढ़ी को इस कार्य में आगे आना होगा एवं शाकाहार व्यंजन के फायदों को सारी दुनिया में प्रचारित करना होगा।

युवाओं को वैचारिक शुद्धता भी धारण करनी होगी
मन में अनेक तरह के निगेटिव एवं व्यर्थ संकल्प आने के कारण अनावश्यक रूप से शरीर की ऊर्जा नष्ट होती है। वर्तमान समय महामारी को लेकर दिनभर अनेक तरह के संकल्प चलाने से युवाओं की ऊर्जा नष्ट हो रही है, साथ में घर में भी भविष्य के प्रति भय एवं असुरक्षा का माहौल बन रहा है। युवाओं की जिम्मेदारी है कि सकारात्मक सोच एवं बातों के द्वारा स्वयं एवं परिवार के बीच एक अच्छा वायुमंडल बनाने का बीड़ा उठाएं।

युवा सोशल मीडिया का सोच समझकर प्रयोग करें
वर्तमान समय सोशल मीडिया में कोरोना महामारी को लेकर संदेशों की बाढ़ सी आई हुई है। ऐसे व्यर्थ की पोस्ट के कारण युवाओं के मन में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। युवाओं की समय एवं शक्ति दोनों व्यर्थ जा रही है। अत: युवाओं को सोशल मीडिया का प्रयोग सकारात्मक कार्यों के लिए करना होगा। एवं सोशल मीडिया एवं वीडियो की भेड़चाल से बचना होगा।

महामारी से बचना भी है और बचाना भी है
जैसा कि कहा जा चुका है, कि आने वाले समय में हमें कोरोना महामारी के साथ रहना सीखना होगा। ऐसे समय युवाओं को सरकार के नियमों का खुद पालन करके चलना होगा। साथ ही घर के लोगों को भी नियमों पर चलाना होगा। क्योंकि आगे की जिन्दगी और दुनिया पहले जैसे नहीं रहने वाली।

आगे आने वाले समय में हमारा उठना, बैठना, खाना, पीना, रिश्ते निभाने के तरीके, शिक्षा पद्धति, त्योहार मनाने के तरीके, छुट्टी मनाने के तरीके आदि सब बदलने वाले हैं। इस बदलाव को जितना जल्दी स्वीकार कर लिया जाए उतना ही अच्छा होगा। युवाओं को इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

निराशा हताशा को दूर रखना होगा
आज के इस समय में संपूर्ण संसार जब इस घोर संकट से गुजर रहा है, ऐसे समय में लोगों को खासकर युवाओं को जब घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है, तो वह अंदर ही अंदर स्वयं को छटपटाता सा महसूस कर रहा है। और हर एक मनुष्य आत्मा के मन में अंदर ही अंदर बहुत से निराशा हताशा के संकल्प उत्पन्न हो रहे हैं, जिसके कारण युवा बीमारी एवं डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

युवा व्यसन से दूर रहें
कठिन परिस्थियों में युवा कई बार नशे एवं व्यसन का शिकार हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रखें परिस्थिति तो चली जाती हैं पर व्यसन एवं नशे की आदत नहीं जाती। युवाओं को अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर रखनी है, इसके लिए खानपान का विशेष ध्यान रखना होगा।

आत्महत्या या स्वयं का नुकसान किसी समस्या का हल नहीं
जिंदगी का सफर बहुत लंबा है। जिंदगी के इस सफर में अनेकों उतार चढ़ाव आते हैं। कई बार तो ऐसा लगने लगता है कि जिंदगी में आगे अंधेरा ही अंधेरा है, कोई उम्मीद की रोशनी नहीं दिखाई देती। युवा आत्महत्या या कोई गलत कदम उठाने की सोचते हैं, परंतु यह कोई समस्या का समाधान नहीं, बल्कि उन्हें यह सोचना है कि हमारे पीछे हमारा परिवार है। जिसकी कठिनाइयां हमारे इस कृत्य के कारण और बढ़ जाएंगी। इसलिए इस आत्मघात महापाप से बचना है और दूसरों को भी बचाना है।

ये बुरा वक्त भी बीत जाएगा
इस कठिन समय में करोड़ों युवा मजदूर भाईयों की जीविका छिन गई, जिसके कारण उन्हें अपने गांव में पलायन करना पड़ा। अब उनके सामने भविष्य की चिंता है, लेकिन उन्हें यह मजबूत संकल्प करना होगा कि भूखे, प्यासे हजारो किलोमीटर पैदल चलने की शक्ति यदि उनके अंदर आई तो भविष्य में भी इस जीवन को भी चलाने की शक्ति उनके अंदर ही है। बस इस समय उन्हें धैर्य एवं हिम्मत से काम लेकर अपने मन को मजबूत रखना होगा एवं सभी युवाओं को मजदूरों भाईयों से प्रेरित होकर अपनी ऊर्जा और हिम्मत को बढ़ाना होगा।

मेडिटेशन एवं व्यायाम को जीवन में अपनाना होगा
युवाओं को इस समेत मानसिक एवं शारीरिक शक्तियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। सुबह जल्दी उठकर, मेडिटेशन एवं व्यायाम करने से मानसिक एवं शारीरिक तनदुरुस्ती प्राप्त होती है। इससे दिन भर परिस्थितियों को आसानी से पार करने की हिम्मत मिलती है। वर्तमान समय इन शक्तियों की युवाओं को अत्यंत आवश्यकता है।

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