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मोदी सरकार का नया प्लान, बदलेगा राजपथ

नई दिल्ली
मोदी सरकार नई दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ के इलाके को नए रूप-रंग में गढ़ने जा रही है। ऐडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किए गए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट और उसके आसपास के करीब 4 किमी के दायरे में मौजूद इमारतों को लेकर नया प्लान तैयार किया जा रहा है। राजपथ, संसद भवन और सचिवालय सब कुछ सरकार रीडिवेलप करने जा रही है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की झलक दिखेगी।

क्या कुछ बदलेगा
सरकार न सिर्फ संसद भवन बल्कि पूरे सेंट्रल विस्टा को नया रूप देने की तैयारी में है। हालांकि यह साफ नहीं है कि मौजूदा संसद भवन की जगह नया भवन बनाया जाएगा या फिर उसमें ही बदलाव किया जाएगा। सरकार की योजना है कि केंद्रीय सचिवालय से इंडिया गेट तक के लगभग चार किलोमीटर के पूरे हिस्से को नया रूप दिया जाए। इस काम के लिए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं।

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में दो सितंबर को ही सीपीडब्ल्यूडी ने प्रस्ताव मांगे हैं। कंपनियों से कहा गया है कि वे 15 अक्टूबर तक अपने प्रस्ताव दें। मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि सरकार चाहती है कि इस प्रॉजेक्ट को पांच वर्ष यानी मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा कर लिया जाए।

मौजूदा संसद में जगह कम, बनेगा संग्रहालय
गौरतलब है कि मौजूदा संसद भवन का निर्माण 1911 में किया गया था और अब यह इमारत अपनी उम्र लगभग पूरी कर चुकी है। यूपीए-2 के कार्यकाल में भी नए संसद भवन के निर्माण के लिए चर्चा शुरू की गई थी, लेकिन बाद में मामला अधर में ही लटक गया। नए संसद भवन के लिए यह भी तर्क दिया जा रहा है कि मौजूदा भवन में जगह कम है। इसके अलावा जब परिसीमन होगा तो सांसदों की संख्या भी बढ़ जाएगी। ऐसे में मौजूदा सदन में पर्याप्त जगह नहीं होगी। सरकार का मानना है कि अगर नया संसद भवन बनता है तो मौजूदा भवन को संग्रहालय का रूप दिया जा सकता है।

सचिवालय भी होगा नया
सरकार चाहती है कि केंद्रीय सचिवालय को भी नए तरीके से निर्मित किया जाए, ताकि सभी मंत्रालय एक ही जगह हों। इससे उनमें बेहतर कॉर्डिनेशन होगा। अभी दिल्ली में 47 मंत्रालय अलग-अलग जगहों से काम कर रहे हैं। सरकार का इरादा है कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को पहले की तरह ही रखा जाए। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि 15 अक्टूबर तक जिन कंपनियों के प्रस्ताव आएंगे, उनका आकलन करके आगे का फैसला लिया जाएगा।

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