मुंबई
घोटाले से घिरे पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के डिपॉजिटर्स को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। डिपॉजिटर्स मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में अपने एक लाख रुपये तक निकालने के लिए आरबीआई की ओर से नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर से संपर्क कर सकते हैं। आरबीआई ने यह बात मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कही। पैसा निकालने पर लगी पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने हलफनामे में आरबीआई ने विवाह, शिक्षा, आजीविका सहित 'अन्य मोर्चों पर मुश्किलों' वाली स्थितियों के लिए 50,000 रुपये तक की निकासी सीमा का जिक्र किया।
ऐडमिनिस्ट्रेटर्स से करना होगा संपर्क
आरबीआई के वकील वेंकटेश ढोंढ ने जस्टिस एस. सी. धर्माधिकारी और जस्टिस आर. आई छागला की डिवीजन बेंच से कहा कि मुश्किलें झेल रहे डिपॉजिटर आरबीआई की ओर से नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर से संपर्क कर सकते हैं और एक लाख रुपये तक निकासी की इजाजत ले सकते हैं। ऐफिडेविट में कहा गया कि निकासी पर ऐसी पाबंदियां बैंक और पैसे जमा करने वालों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी हैं।
छह महीनों के लिए है बैंक पर प्रतिबंध
आरबीआई ने यह भी कहा कि PMC बैंक में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गई हैं। 23 सितंबर को आरबीआई ने PMC बैंक पर छह महीनों के लिए रेग्युलेटरी प्रतिबंध लगा दिए थे।
मामले पर अगली सुनवाई 4 दिसंबर को
ऐफिडेविट में कहा गया, 'पैसे जमा करने वालों की परेशानी कम करने के लिए आरबीआई ने इलाज, विवाह, शिक्षा, आजीविका सहित दूसरे मोर्चों पर आने वाली मुश्किलों को देखते हुए मेरिट के आधार पर तय सीमा से ज्यादा रकम निकासी की व्यवस्था बनाई है। मेडिकल ग्राउंड पर एक लाख रुपये तक और बाकी अन्य मामलों में 50 हजार रुपये तक निकाले जा सकते हैं।' ऐफिडेविट पर गौर करने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय की।
क्या है पीएमसी बैंक घोटाला?
पंजाब व महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक में फाइनैंशल फ्रॉड लगभग एक दशक से चल रहा था। जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि जॉय थॉमस की अगुआई में बैंक मैनेजमेंट ने कंस्ट्रक्शन कंपनी HDIL को फंड दिलाने के लिए हजारों डमी अकाउंट खोले हुए थे। यह खेल करीब 10 साल से चल रहा था। रेगुलेटर को शुरुआत में पता चला कि थॉमस और मैनेजमेंट के कुछ लोगों ने मिलकर 4,226 करोड़ रुपये (बैंक के टोटल लोन का 73% हिस्सा) सिर्फ एक ही कंपनी HDIL को दिए थे, जो अब दिवालिया हो गई है।
ऐसे में इस बैंक का दिवाला पिट गया और आरबीआई ने इसके कामकाज पर रोक लगा दी। उसने डिपॉजिटरों के पैसे निकालने की लिमिट तय कर दी। इसके बाद सामने आया कि घोटाला 4,226 करोड़ का नहीं, बल्कि 4,355 करोड़ रुपये का है। अब सामने आया है कि पीएमसी बैंक लोन घोटाला 6500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।