राजनीति

मुस्लिम लीग के साथ मुश्किल होता देश चलाना, बंटवारे से खुश: नटवर सिंह

नई दिल्ली
पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता नटवर सिंह ने रविवार को कहा कि उन्हें खुशी है कि भारत का बंटवारा हुआ, नहीं तो 'मुस्लिम लीग' इस देश को चलने नहीं देती और 'सीधी कार्रवाई के दिन' और भी हो सकते थे। नटवर सिंह ने यह बात राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर की नई किताब 'गांधीज़ हिंदुज्म: द स्ट्रगल अगेंस्ट जिन्नाज इस्लाम' के लॉन्चिंग पर कही। इस पुस्तक को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने आवास पर लॉन्च किया। इस दौरान एनएसए अजीत डोभाल भी मौजूद थे।

नटवर सिंह ने कहा, 'पहली बार यह जिन्ना के जीवनकाल में 16 अगस्त 1946 को हुआ, जिसमें हजारों हिंदू कोलकाता (तब कलकत्ता) में मारे गए और फिर उसके जवाब में बिहार में हिंसा की घटनाएं हुई जिसमें हजारों मुस्लिम मारे गए।' उन्होंने कहा, 'इसलिए भी कि मुस्लिम लीग देश को चलने नहीं देती।' मुस्लिम लीग के बारे में अपनी राय के पक्ष में नटवर सिंह ने 2 सितंबर 1946 में गठित अंतरिम भारत सरकार का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से मुस्लिम लीग ने शुरुआत में (वायसराय की कार्यकारिणी) परिषद के उपाध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया था और बाद में केवल प्रस्तावों को खारिज करने के लिए इसमें शामिल हो गई।

गांधी और जिन्ना के साथ रहना मुश्किल था
नटवर सिंह ने आगे कहा, 'इसलिए व्यापक स्तर पर आप यह कल्पना कीजिए कि अगर भारत का बंटवारा नहीं होता तो मुस्लिम लीग हमारे लिए कामकाज बहुत ही मुश्किल कर देती। साथ ही, उस समय एक हफ्ते में ही सरकार की स्थिति कमजोर हो जाती। उन्होंने गांधी और जिन्ना का उल्लेख दो बहुत ही 'महान' और 'जटिल' व्यक्ति के रूप में करते हुए कहा, 'उनके साथ रहना असंभव होता क्योंकि गांधीजी के मानदंड बहुत ऊंचे थे और जिन्ना का स्वभाव बहुत ही अक्खड़ था जिनके साथ संभवत: मैं नहीं रह सकता था।' उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा कि वह कार्यक्रम में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने गांधी को जीवित देखा है। पूर्व विदेशमंत्री ने कहा, उनका मानना है कि भारत के अंतिम गर्वनर जनरल सी राजगोपालचारी के मनाने पर महात्मा गांधी ने जिन्ना को महत्व दिया।

क्या है 'सीधी कार्रवाई का दिन'
मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग ने अलग राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर 'सीधी कार्रवाई' का आह्वान किया था। 16 अगस्त 1946, जिसे 1946 का कलकत्ता नरसंहार या सीधी कार्रवाई दिवस भी कहते हैं, तत्कालीन ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत के कलकत्ता में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। 88 साल के नटवर सिंह ने कहा, 'मेरे विचार से मुझे खुशी है कि भारत का विभाजन हुआ क्योंकि अगर भारत का बंटवारा नहीं होता तो हमें और भी 'सीधी कार्रवाई कार्रवाई दिवस' देखने पड़ते।'

कार्यक्रम में मौजूद अजीत डोभाल ने भी की पुस्तक की सराहना
इसी कार्यक्रम में मौजूद एनएसए अजित डोभाल ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि गांधी जी ने बयान दिया था कि वह 15 अगस्त को पाकिस्तान जाना चाहेंगे, यह उस बड़े दर्द का सांकेतिक प्रकटीकरण था, जो वह महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'यह महज बंटवारा नहीं था लेकिन गांधी ने बंटवारे के बाद की इस स्थिति को महसूस किया कि रिश्ते (भारत और पाकिस्तान के बीच) ऐसे होंगे जो संभवत: दोनों देशों को दर्द और दुख देंगे, जो सही साबित हुआ।'

अजीत डोभाल ने आगे कहा, 'संभवत: 70 साल का इतिहास लंबा नहीं है। समय गुजरने के साथ हम अपने अनुभवों से सीखेंगे। संभवत: हम सभी प्रयोगों के बाद सही चीजें करेंगे। हमें एहसास होगा कि हमारा सह अस्तित्व संभव और वास्तविकता है तथा यही एक मात्र चीज अंतत: लाभदायक है।'

देश में नागरिकता कानून को लेकर चल रहा है विवाद
गौरतलब है कि देश में इस समय संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर विवाद चल रहा है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसे संविधान के विरुद्ध बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यह देश को धर्म के आधार पर बांटने की एक और साजिश है। वहीं, बीजेपी इस मामले पर पलटवार करते हुए कहती है कि अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं किया होता तो हमें यह कानून लाने की जरूरत नहीं पड़ती।

 

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