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मुस्लिम पक्ष की दलील- दिसंबर 1950 में पारित हुआ था गलत आदेश: अयोध्या सुनवाई

नई दिल्ली 
अयोध्या भूमि विवाद पर बुधवार को 21वें दिन की सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्याक्षता वाली पांच जजों के समक्ष मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले में दिसंबर 1950 का मजिस्ट्रेट का आदेश गलत था। इस आदेश के बाद ही से वह(हिन्दूपक्ष) अपना दावा जता रहे हैं। दो बजे पांच जजों की पीठ के समक्ष शुरू हुई सुनवाई के दौरान धवन ने कहा कि ये स्थल उन्हें बिलोंग नहीं करता, वे उसके मालिक नहीं है। इस पर हमारा जुड़ा हुआ और संबंधित अधिकार है। वे 24 दिसंबर 1949 से ही वे अधिकार दिखा रहे हैं। उन्हे प्रदर्शित करना पड़ेगा इससे पहले वहां उनका अधिकार था।

दिसंबर की इस गैरकानूनी कारवाई को वह अधिकार कह रहे हैं। इस गलत कार्रवाई को जारी रखने का मजिस्ट्रेट का ऑर्डर था। गलत करना मजिस्ट्रेट ने शुरू किया था। क्या मजिस्ट्रेट पर केस किया जा सकता है, इसका जवाब है नहीं। मजिस्ट्रेट ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया। उनका कर्तव्य था कि वह चीजों की जांच करते। धवन की दलील पर पीठ के दूसरे जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि क्या इस कायर्वाही में कोर्ट की सहभागिता है। धवन ने कहा, बिल्कुल। यदि उन्हें कब्जा दिया गया तो ये त्रासदी को बुलावा देना जैसे होगा।

सुनवाई का सीधा प्रसारण करने पर आदेश 16 को 

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले की सुनवाई की सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को आदेश पारित करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की विशेष पीठ ने अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू करने से पहले कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के मुद्दे पर में हमने विचार किया है और हम इस मुद्दे पर 16 सितंबर को आदेश सुनाएंगे। 

यूपी सरकार ने जज का कार्यकाल बढ़ाया

अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल सीबीआई जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।  यूपी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को यह सूचना दी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के विशेष जज से अप्रैल 2020 तक मामले की सुनवाई पूरी करके  फैसला सुनाने को कहा था। यादव इस मामले में फैसला सुनाने तक पद पर बने रहेंगे। 

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