महिलाओं को 30 की उम्र के बाद खुद का रखना चाहिए अधिक ख्याल

आज के समय में 30 की उम्र के बाद महिलाओं का मेडिकल चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाना सब कामों में सबसे आखिरी काम हो सकता है। लेकिन नियमित जांच से आपकी सेहत और बाद में आपकी जान भी बच सकती है। यहां हम आपको ऐसे मेडिकल टेस्ट के बारे में बता रहे हैं, जो महिलाओं को 30 की उम्र के बाद एक निश्चित समय पर जरूर करवाने चाहिए। अगर आपकी पत्नी या गर्लफ्रेंड इसे लेकर सीरियस नहीं है तो उन्हें सेहतमंद रखने की जिम्मेदारी आपकी बनती है…

पैम स्मियर टेस्टयह टेस्ट उन सभी महिलाओं को करवाना जरूरी है, जिनकी उम्र 30 साल या उससे ज्यादा है। गाइनी एक्सपर्ट अदिति शर्मा कहती हैं, यह टेस्ट उन महिलाओं के लिए भी जरूरी है, जो सेक्शुअली ऐक्टिव हैं। डॉक्टर की अडवाइस से इसे 1 से तीन साल में रिपीट करवाते रहना चाहिए। अगर सेल्स में किसी तरह के बदलाव पाए जाते हैं, तो यह टेस्ट इससे भी कम समय में रिपीट करवाना पड़ सकता है। दरअसल, कई बार यह प्रॉब्लम तब पता चलती है, जब बहुत देर हो चुकी होती है। पैप स्मियर टेस्ट से यूटरस कैंसर का समय रहते पता किया जा सकता है। यही नहीं, इस टेस्ट से यूटरस की हेल्थ स्टेज भी पता चल जाती है। आपको बता दें कि दुनिया भर में पिछले चार से पांच साल के अंदर यूटरस का कैंसर छह से सात फीसदी बढ़ा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में केवल इंडिया में इस कैंसर से एक साल में एक लाख 90 हजार महिलाओं की डेथ हुई। पैप स्मियर टेस्ट में यूटरस से कुछ सेल्स लेकर उनका टेस्ट किया जाता है। इसमें इन सेल्स को माइक्रोस्कोप से देखकर यह पता लगाया जाता है कि कहीं ये सेल्स कैंसर से ग्रस्त तो नहीं हैं। अगर हैं, तो कैंसर की यह कौन सी स्टेज है।

ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राफी स्क्रीनिंग
ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेस्ट में गांठ दोनों खतरनाक बीमारियां हैं। अक्सर ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत भी गांठ से होती है। ऐसे में इसकी सही समय पर जांच बहुत जरूरी है। ब्रेस्ट में गांठ या कैंसर की आशंका होने पर मैमोग्राफी जांच द्वारा पता लगाया जा सकता है। स्टडीज के मुताबिक, बदलती लाइफस्टाइल के कारण ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए टेस्ट करवाकर आप समय रहते इससे बचाव कर सकती हैं। इसके आलावा, ब्रेस्ट कैंसर का पता कई साधारण स्क्रीनिंग परीक्षणों के माध्यम से भी लगाया जा सकता है, जिसे सेल्फ ब्रेस्ट एग्जाम कहा जाता है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी 30 की उम्र के बाद साल में एक बार इस टेस्ट को करवाने की सलाह देती है। महिलाओं को मैमोग्राफी टेस्ट 30 की उम्र के बाद और 45 साल की उम्र तक हर साल कराने की सलाह दी जाती है।

थायराइड फंक्शन टेस्ट
30 की उम्र के बाद थायराइड फंक्शन टेस्ट और कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कराना भी जरूरी है। इस उम्र में कुछ लोगों में हारमोंस की वजह से यह प्रॉब्लम आनी शुरू हो जाती है। अगर आप टेस्ट नहीं करवाती हैं और बॉडी में थायरॉइड के लक्षण हैं, तो आपका वेट बढ़ सकता है। इसके अलावा, ऑटोइम्यून बीमारी भी इसकी वजह से ही होती है। 30 के बाद हर पांच साल में थायराइड परीक्षण करवाना चाहिए। अगर आपका लगातार मूड स्विंग हो रहा है, वेट कम और ज्यादा हो रहा है, पीरियड्स रेग्युलर नहीं है, नींद प्रोपर नहीं आती, तो यह टेस्ट करवाना जरूरी है।

फर्टिलिटी एंड प्री-प्रेग्नेंसी इवेलुएशन
इस उम्र के बाद महिलाओं की कंसीव करने की स्ट्रेंथ कम होती जाती है। फर्टिलिटी एंड प्री-प्रेग्नेंसी इवेलुएशन टेस्ट आपकी गायनोलॉजिस्ट द्वारा आपकी मां बनने की सही उम्र निर्धारित करने में मदद करता है। महिला का गर्भाशय कई अंडों को गर्भ में रखता है, जो 20 की उम्र के बाद कम होने लगते है और 30 की उम्र के बाद यह तेजी से घटते है। अभी मां नहीं बनना चाहती हैं, तो आप जांच से यूटरस में ऐग्स की स्थिति का पता लगा सकती हैं।

कॉलेस्ट्रोल की जांच
-30 की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल को चेक करना बेहद जरूरी है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन महिलाओं को 20 से कम उम्र में शुरू होने वाले हर चार से छह साल में कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाने की सलाह देता है। इससे आप हार्ट से जुड़ी प्रॉब्लम्स से बची रहती हैं।

-30 साल की उम्र में महिलाओं को साल एक बार अपने ब्लडप्रेशर की जांच करवानी चाहिए, क्योंकि अगर आपको हाई बीपी है और आपको पता नहीं है, तो आप हार्ट और ब्रेन से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स की चपेट में आ सकती हैं। भोजन की आदतों, जीवन शैली और दवाओं में हल्का बदलाव बीपी को आसानी से काबू में रख सकता है।

-आंखों की रोशनी, धुंधलापन, आंखों का दर्द, लाल आंखें आदि कुछ प्रॉब्लम्स हैं, जो किसी को भी हो सकती हैं। आंखों में समस्या भी सिरदर्द का कारण बन सकती है, इसलिए 30 साल की उम्र के बाद आंखों की जांच जरूरी है।

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