मनी लॉन्ड्रिंग केस: लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती के खिलाफ अगली सुनवाई 21 को

पटना       
धन शोधन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती और अन्य के खिलाफ अदालत ने अनुपूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए 21 सितंबर की तारीख तय की है।

राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार की अदालत ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलें सुनीं। इसके बाद इस मामले पर सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की। विशेष लोक अभियोजक अतुल त्रिपाठी के जरिये दायर किए गए आरोपपत्र में जांच एजेंसी ने 35 नए आरोपित बनाए हैं, जिनमें से 15 व्यक्ति हैं और बाकी कंपनियां हैं। इन 15 व्यक्तियों में से आठ चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। 

आरोपपत्र में आठ हजार करोड़ रुपये के शेयरों की जानकारी भी है। केंद्रीय एजेंसी ने दो भाइयों सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेंद्र जैन और अन्य के खिलाफ जुलाई 2017 में एक फार्म हाउस और कुछ अन्य स्थानों पर छापे मारे थे। इन लोगों पर मुखौटा कंपनियों के जरिये करोड़ों रुपये के धन शोधन का आरोप था।

ईडी ने चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया था, जिसने कथित तौर पर मध्यस्थता की। राजेश ने जैन बंधुओं को 90 लाख रुपये नकद मुहैया कराए ताकि वे इन रुपयों को एम/एस मिशेल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड में निवेश कर दें। भारती व उनके पति पर पूर्व में इस कंपनी का निदेशक होने का आरोप है। ईडी ने आरोप लगाया कि जैन बंधु, अग्रवाल और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो प्रसाद की बेटी तथा दामाद एक करोड़ 20 लाख रुपये के धन शोधन के पीछे मुख्य आरोपित हैं।

इस मामले में अदालत ने शनिवार को पूरक आरोपपत्र पर अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष की दलीलें सुनीं। अभियोजन का कहना था कि इस मामले में कपंनियों की आड़ में धन जोड़ा गया। यह धन गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किया गया। इसके लिए 20 कंपनियां बनाई गईं। इन कंपनियों पर मालिकाना हक आरोपितों का ही था।

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