मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश: फ्लोर टेस्ट को अधिक समय तक नहीं रोक सकते स्पीकर, जानिए अब क्या हैं विकल्प?

भोपाल
मध्य प्रदेश में शुक्रवार को देर शाम तक चले ड्रामे के बाद बागी विधायकों का भोपाल आना कैंसल हो गया। विधायकों की इस बगावत के चलते प्रदेश की कमलनाथ सरकार फंसती नजर आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो कानूनी प्रावधान न होने के चलते कांग्रेस और स्पीकर इन विधायकों को विधानसभा में पेश होने के लिए मजबूर भी नहीं कर सकते। ऐसे में स्पीकर फ्लोर टेस्ट को भी बहुत समय तक नहीं रोक सकते। इससे पहले पिछले साल कर्नाटक में ऐसी स्थिति बनी थी तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस्तीफा दिए जाने के 7 दिन के अंदर स्पीकर उनकी वैधता की जांच करें, अगर वे सही हों तो मंजूर करें नहीं तो खारिज कर सकते हैं।

अगर स्वीकार हो जाते हैं 22 इस्तीफे…
जिन 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं उन पर स्पीकर को ही फैसला लेना है। अगर इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो 22 विधायकों की सदस्यता चली जाएगी और कांग्रेस सरकार में शामिल सदस्यों की संख्या 121 से 99 हो जाएगी। इससे विधानसभा की संख्या 206 और बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा।

अगर स्पीकर इस्तीफे नहीं स्वीकार करते हैं तो पार्टी विप जारी कर उन्हें सदन में हाजिर होने को कह सकती है। अगर विधायक फिर भी नहीं आते हैं तो पार्टी से निकालना ही आखिरी उपाय है। इससे उनकी सदस्यता बनी रहेगी।

विधायकों को उपस्थिति के लिए बाध्य नहीं कर सकते स्पीकर
स्पीकर के पास विधायकों को अयोग्य ठहराने का भी विकल्प है लेकिन अयोग्यता 6 महीने से ज्यादा वक्त के लिए लागू नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर कर्नाटक को देख सकते हैं। स्पीकर ने विधायकों को नोटिस देकर उपस्थित होने को कहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, विधायकों को उपस्थिति के लिए बाध्य भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे में फ्लोर टेस्ट को बहुत अधिक समय तक रोका नहीं जा सकता है।

किन परिस्थितियों में विधानसभा भंग हो सकती हैं

  • पहली- राज्यपाल इस बात से सहमत हों कि मध्य प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति है। ऐसे में राज्यपाल विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं लेकिन इसकी संभावना कम ही मानी जा रही है।
  • दूसरी- 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद अगर कांग्रेस के बाकी विधायक भी सामूहिक रूप से इस्तीफा देते हैं और स्पीकर इसे मंजूर कर लेता है तो सदन की सदस्य संख्या आधी रह जाएगी। ऐसे में अगर स्पीकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से करें तो गवर्नर इसे मान सकते हैं या फिर खाली सीटों पर उपचुनाव की सिफारिश कर सकते हैं।

इंतजार करते रहे स्पीकर
सूत्रों के मुताबिक, सभी 19 विधायकों ने स्पीकर के सामने पेश होने के लिए समय मांगा था। शुक्रवार सुबह से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि बागी विधायक किसी भी वक्त भोपाल पहुंच सकते हैं। राज्यसभा के लिए नामांकन के बाद स्पीकर प्रजापति और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य विधानसभा में विधायकों का इंतजार करते रहे लेकिन कोई भी दोपहर तक नहीं आया।

'मैं नियमों के अनुसार काम करूंगा'
इस पर स्पीकर प्रजापति बोले, 'मैंने छह विधायकों को शुक्रवार का समय दिया था ताकि वे मेरे सामने अपना पक्ष रख सकें। हालांकि वे नहीं आए। मैंने तीन घंटे तक इंतजार किया कोई नहीं आया। मैं अन्य 7 विधायकों का कल तक इंतजार करूंगा। जो लोग नहीं आ पाएंगे उन्हें आगे की डेट दी जाएगी।' स्पीकर ने कहा, 'मैं नियमों से बंधा हुआ हूं और प्रक्रियाओं के अनुसार ही काम करूंगा।' बता दें कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था। इनमें से 19 विधायकों के इस्तीफे को बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह स्पीकर एनपी प्रजापति के पास लेकर पहुंचे थे। गुरुवार को स्पीकर ने 22 कांग्रेस विधायकों को उनके सामने पेश होने को कहा था। स्पीकर ने 6 विधायकों को शुक्रवार को बुलाया था, 7 को शनिवार और बाकी बचे विधायकों को रविवार को।

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