भोपाल
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने कृषि विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर पद के लिए कराई जाने वाली परीक्षा का शुल्क पांच गुना बढ़ा दिया है। आयोग के इस फैसले के विरुद्ध बेरोजगार युवाओं में आक्रोश है और 2500 रुपए का शुल्क वसूलने का विरोध किया जा रहा है। वहीं पीएससी का कहना है कि आॅनलाइन परीक्षा में भारी खर्च आता है। इसलिए इसमें वृद्धि की गई है।
आयोग द्वारा परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन में प्रदेश के सामान्य वर्ग के युवाओं तथा मध्यप्रदेश के बाहर के आवेदकों के लिए जो फीस तय की गई है वह 2500 रुपए है। आॅनलाइन आवेदन करने के कारण 40 रुपए अतिरिक्त शुल्क लगता है। इस तरह एक आवेदक से 2540 रुपए की फीस वसूली की जाएगी। पिछले साल तक इसी परीक्षा की फीस पांच सौ रुपए फीस ली जाती रही है। इस साल हो रही परीक्षा के लिए एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के युवाओं के आवेदन करने पर उन्हें 1250 रुपए चुकाना होंगे। आयोग द्वारा बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं से वसूली जाने वाली परीक्षा फीस का विरोध भी हो रहा है और रोजगार के अधिकाधिक अवसर देने की बजाय फीस के नाम पर लूट करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। युवाओं का आरोप है कि इतनी फीस तो व्यवासायिक परीक्षा मंडल द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं में भी नहीं लगती है।
एमपी लोकसेवा आयोग के चेयरमैन भास्कर चौबे का कहना है कि चूंकि अब परीक्षा आॅनलाइन होती है। इस परीक्षा में ज्यादा खर्च आता है। इसलिए फीस बढ़ाई गई है। नियमानुसार परीक्षा खर्च का एक चौथाई आयोग फीस के रूप में वसूलता है। बेरोजगार युवा कैसे दे पाएंगे? इस पर उनका तर्क है कि अन्य एजेंसियों में भी फीस लगती है। चौबे के मुताबिक इसके पहले कब फीस बढ़ाई गई थी, उन्हें जानकारी नहीं है।
दूसरी ओर इस परीक्षा के हो पाने को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है। तैयारी कर रहे युवाओं की मानें तो सरकार ने ओबीसी के लिए 27 फीसदी रिजर्वेशन का प्रावधान किया है। छत्तीसगढ़ में इसी मामले में कोर्ट ने स्टे दे दिया है। इसलिए उसी को आधार बनाकर एमपी में भी कोर्ट में केस दायर करने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अगर एमपी में भी परीक्षा प्रक्रिया स्थगन के दायरे में आई तो सरकार को तो फीस मिल जाएगी पर युवाओं को परीक्षा देने का मौका नहीं मिल सकेगा।