मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश बनेगा देश का हार्टिकल्चर कैपिटल – मुख्यमंत्री कमल नाथ

भोपाल

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश को देश का हार्टिकल्चर कैपिटल बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी किसानों की समृद्धि के द्वार खोलने वाला क्षेत्र है। यही कृषि का भविष्य भी है। कमल नाथ ने कहा कि नाबार्ड को हार्टिकल्चर के क्षेत्र में ऋण देने का अनुमान 6 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 15 प्रतिशत रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बड़ी मात्रा में अनुपयोगी पड़ी राजस्व भूमि का उपयोग उद्यानिकी क्षेत्र के विस्तार में किया जा सकता है। मुख्यमंत्री मंत्रालय में नाबार्ड द्वारा आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी 2020-21 में स्टेट फोकस पेपर का विमोचन कर रहे थे। नाबार्ड ने प्रदेश के लिये 1,98, 786 करोड रूपये के ऋण का आकलन किया है। यह पिछले साल से 13 प्रतिशत ज्यादा है।

कृषि में भी नई सोच से काम करने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कृषि क्षेत्र में भी नई दृष्टि और नई सोच के साथ काम करने की आवश्यकता है। पूरा दृश्य बदल रहा है। पहले छोटे दानों जैसे कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। आज इन फसलों की प्राथमिकता है। पहले यह गरीबों की खाद्य सामग्री मानी जाती थी। अब ये फसलें पोषक तत्वों के कारण सर्वाधिक उपयोगी साबित हो रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड के पास वर्षों का संचित अनुभव और बौद्धिक क्षमता है । इसका उपयोग भविष्य में निर्मित होने वाले परिदृश्य में ज्यादा कारगर होगा। उन्होने कहा कि नाबार्ड को न सिर्फ वर्तमान बल्कि 2024-25 की योजना भी अभी से तैयार करना पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जो स्थितियाँ हैं, वो पाँच साल बाद बदल जाएंगी। आज तय किए गए लक्ष्य आसानी से पूरे हो जाएंगे लेकिन भविष्य की दृष्टि से नए लक्ष्यों की चुनौती को भी स्वीकार करना होगा। उन्होने कहा कि नाबार्ड ने मध्यप्रदेश और देश के कृषि अधोसंरचना निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया है। नाबार्ड ने जो ज्ञान अर्जित किया है, उसका उपयोग हमें भविष्य में अपनी सोच को विस्तार देने में करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के लिए जो प्लान बनाये हैं, वे देश के लिए भी उपयोगी होंगे।

कृषि को बनाना होगा आधुनिक

मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती युवाओं की बेरोजगारी है क्योंकि वे शहरों और गांवों के बीच भटक रहे हैं। उनहोने कहा कि युवाओं को नई तकनीक और तकनीकी कौशल से जोड़ना होगा। प्रदेश की कृषि को आधुनिक बनाना होगा।

कृषि क्षेत्र के उभरते बाजार पर पैनी नजर

मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड को अब फसलों के निर्यात पर भी ध्यान देना होगा। कृषि क्षेत्र के भीतर उभरते बाजार पर भी पैनी नजर रखना होगी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड अपनी विशेषता को सामान्य रूप से किए जाने वाले कार्यों में उपयोग न करें बल्कि खेती की नई तकनीकों पर ध्यान दे। वेयर हाऊस निर्माण और उपार्जन की अधोसंचानाओं के निर्माण पर भी ध्यान दे। इसके अलावा, यह भी विचार करे कि कौन सी उपयोगी अधोसंरचनाएं बन सकती हैं और बनना चाहिए । उन्होंने कहा कि एक-दो दशक पहले नाबार्ड की भूमिका सिर्फ रि-फाईनेंसिंग तक सीमित थी। आज इसे अपनी भूमिका को भी विस्तार देने की आवश्यकता है।

नाबार्ड ने मध्यप्रदेश में वर्ष 2020-21 के लिए 1,98,786 करोड़ रूपए की ऋण की संभावना का आकलन किया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले साल यह राशि 1,74, 970 करोड़ थी। इस ऋण अनुमान में फसलीय ऋण पर 1,03,005 करोड़ रूपए और टर्म लोन पर 44,982 करोड़ रूपए ऋण अनुमान है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के लिए लगभग 32,001 करोड़ और प्राथमिकता क्षेत्र जैसे निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, नवकरणीय ऊर्जा और अन्य सामाजिक बुनियादी ढ़ाँचे पर 18,797 करोड़ रूपए ऋण देने का अनुमान है।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एस के बंसल ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास की संभावना पर प्रकाश डालते हुए बैंकों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रदेश के 100% किसानों तक केसीसी कवरेज बढ़ाने, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में निवेश और कृषि उत्पादक समूहों के वित्त पोषण के प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और दीर्घकालिक संचय निधि ( एलटीआईफ) के तहत राज्य सरकार को दिए गए रु 26000 करोड़ के ऋण और इससे होने वाले लाभ की भी चर्चा की। प्रदेश के 21 जिलों में स्व- सहायता समूहों के लिये ई-शक्ति परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि इससे प्रदेश के 25000 समूहों के लगभग ढाई लाख परिवारों को लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले किसान उत्पादक संगठनों को सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्य शासन और नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारी एवं लीड बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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