भोपाल
मध्यप्रदेश अब घड़ियाल स्टेट भी बन गया. देश में पहले नंबर पर MP है. जबकि दूसरे नंबर पर केरल (केरल) है.वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में घड़ियालों की संख्या बढ़ी है.
वाइल्ड लाइल ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बता रही है कि चंबल नदी पर बने घड़ियाल अभयारण्य में बीते सालों की तुलना में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. अब यहां घड़ियालों का कुनबा बढ़कर 1255 का हो गया है. मध्यप्रदेश ने जलीय जीव के संरक्षण और संवर्धन के मामले में एक और उपलब्धि हासिल की है.रिपोर्ट के अनुसार चंबल नदी में 1255 घड़ियाल मौजूद हैं…जबकि बिहार की गंडक नदी दूसरे नंबर पर है और वहां 255 घड़ियाल हैं.विभागीय गणना के अनुसार घड़ियालों की संख्या 1876 है.वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया अपने स्तर पर देशभर में घड़ियालों की गिनती करता है और फिर रिपोर्ट जारी की जाती है.
तेजी से बढ़ी घड़ियालों की संख्या
1980 के दशक में प्रदेश के साथ देश में घड़ियालों की संख्या में बेहद कम थी.तब केवल 200 घड़ियाल ही बचे थे.लेकिन इसके बाद यह संख्या प्रदेश के साथ देशभर में बढ़ी है.एमपी में विभागीय स्तर पर की गई कोशिश रंग लाई है.526 बाघों के साथ प्रदेश को हाल ही में टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था.पहले यह दर्जा मध्यप्रदेश से छिन गया था.विभागीय गणना में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से भी ज्यादा घड़ियाल पाए गए हैं.
ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम
घड़ियालों की संख्या बढ़ाने में ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.हर साल 200 घड़ियाल को इस कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़ा जाता है. राज्य सरकार ने चंबल नदी के 435 किमी क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया था.ये नदी मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बहती है.राज्य सरकार ने अभयारण्य घोषित करने के साथ नदी में घड़ियालों की संख्या बढ़ाने के लिए देवरी ईको सेंटर भी बनाया गया. यहां घड़ियाल के अंडे लाए जाते हैं और उनसे निकलने वाले बच्चे को तीन साल तक पाला जाता है.इसके बाद इन्हें नदी में छोड़ दिया जाता है.वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस उपलब्धि का श्रेय विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया है.उनका मानना है कि अधिकारियों ने मेहनत और दिन रात परिश्रम किया है..उनकी मेहनत की वजह से मध्यप्रदेश को घड़ियाल स्टेट का दर्जा मिला है.