प्रयागराज
मकर संक्रांति का पर्व बुधवार को श्रद्धा, उल्लास और पंरपरा के अनुसार मनाया जाएगा। इसी दिन माघ मास के दूसरे प्रमुख स्नान पर्व पर लाखों श्रद्धालु संगम समेत गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगाएंगे। घरों में पारंपरिक रूप से खिचड़ी मनाई जाएगी। इसके साथ ही लोग पतंगबाजी का लुत्फ उठाएंगे। इस बार मकर संक्रांति पर शोभन और बुधादित्य योग होने से स्नान, दान का महापुण्य मिलेगा। मान्यता है कि यहां जितने भी दान किए जाते हैं वे अक्षय फल देने वाले होते हैं।
इसलिए होती हैं संक्रांति
उत्थान ज्योतिष संस्थान के पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार सूर्य अपनी स्वाभाविक गति से प्रत्येक वर्ष 12 राशियों में 360 अंश पर परिक्रमा करते हैं। एक राशि में 30 अंश का भोग करते हुए सूर्य दूसरे राशि में जाते हैं। धनु राशि को छोड़कर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है।
संगम पर तिल के तेल का जलाएं दीपक: सूर्य के संक्रमण से बचने के लिए संगम तट पर तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। द्वादश माधव के तहत भगवान वेणी माधव को प्रमुख तीर्थ के रूप में माना जाता है। इसलिए उन्हें दीप दान अवश्य करना चाहिए।
खिचड़ी, तिल का दान फलदायी मकर संक्रांति पर खिचड़ी, तिल, गुड़, चावल, नीबू, मूली, उड़द दाल और द्रव्य का दान करना चाहिए। इस दिन सूर्य को आराध्य मानकर पितरों को भी तिल, दान करना पुण्यदायी है।
मेष : राज्य में वृद्धि, गृह व वाहन सुख। वृष : पराक्रम में वृद्धि, भाग्य में वृद्धि, राज्य से लाभ। मिथुन: धन में वृद्धि व पेट की समस्या। कर्क : दापंत्य में अवरोध, सरकारी लाभ। सिंह: रोग ऋण शत्रुओं की पराजय। कन्या : पढ़ाई में अवरोध, संतान पर खर्च, आय में वृद्धि। तुला : जमीन जायदाद से लाभ, माता के स्वास्थ्य की चिंता। वृश्चिक : पराक्रम में वृद्धि, पिता का सहयोग। धनु : वाणी तीव्र, पेट की समस्या, धन वृद्धि, लाभ। मकर : दांपत्य में तनाव, पिता से कष्ट, मानसिक पीड़ा। कुम्भ : आंख में कष्ट, दांपत्य में अवरोध, शत्रु विजय। मीन : आय में वृद्धि, अध्ययन में अवरोध, शत्रु विजय