भोपाल
प्रदेश में एक और बड़े प्रशासनिक फेरबदल की आहट सुनाई देने लगी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्य सचिव एसआर मोहंती के बीच एक दौर की बातचीत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि फेरबदल में उन अफसरों को हटाया जाएगा, जिनके पिछले दिनों मंत्रियों और विधायकों से विवाद सामने आ चुके हैं। इसके अलावा जिन अधिकारियों के पास एक से अधिक विभाग है, उनके विभागों में भी बदलाव हो सकता है।
मैदानी अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर अभी सहमत नहीं बन पा रही है। कुछ अधिकारियों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या के फैसले तक मैदानी अधिकारियों को नहीं हटाना चाहिए। हालांकि कई अधिकारियों के खिलाफ लगातार मिल रही मनमानी और भ्रष्टाचार की शिकायतों से मंत्रालय स्तर पर काफी नाराजगी है। कुछ पुलिस अधीक्षकों की कार्यप्रणाली से पुलिस मुख्यालय नाखुश है। मुख्यालय के आला अधिकारियों को तीन से चार जिलों के पुलिस अधीक्षकों पर भरोसा नहीं है कि यदि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो वे संभल नहीं पाएंगे।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ एसपी मंत्री के साथ उनके कट्टर सर्मथकों के पैर छू रहे हैं, जिससे निचले स्तर पर बहुत खराब संदेश जा रहा है। कई जिलों में खुलेआम सट्टा, जुआं चल रहा है और घर-घर शराब बिक रही है। यह सब पुलिस अधिकारियों स्थानीय नेताओं और शराब कारोबारियों की मिलीभगत से हो रहा है। सरकार ऐसे पुलिस अफसरों पर सख्त रवैया अपना सकती है।
राज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार आयुक्त महिला व बाल विकास का पद दो माह से अधिक समय से खाली है। प्रमुख सचिव महिला व बाल विकास अनुपम राजन के पास आयुक्त का भी प्रभार है। आयुक्त महिला बाल विकास के लिए अध्धयन अवकाश से वापस लौटे धनंजय सिंह तथा संचालक खाद्य व नागरिक आपूर्ति श्रीमन शुक्ला के नाम की चर्चा है। धनंजय को आयुक्त स्वास्थ्य या किसी संभाग की भी कमान सौंपी जा सकती है। वे मुख्यमंत्री के करीबी बसपा विधायक के बहनोई है। संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छबि भारद्वाज के पास आयुक्त स्वास्थ्य का अतिरिक्त प्रभार है।
जानकारी के अनुसार संचालक नगर व ग्राम निवेश राहुल जैन 31 अक्टूबर तक नई पदस्थापना के लिए कार्य मुक्त हो जाएंगे। राहुल जैन को केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का विशेष सहायक बनाया गया है। आयुक्त जनसंपर्क पी नरहरि के पास आयुक्त नगरीय प्रशासन और विकास का भी प्रभार है। संभावना है कि किसी युवा अधिकारी को संचालक जनसंपर्क और ईडी माध्यम का प्रभार सौंपकर पी नरहरि का बोझ कुछ कम किया जाए। एक चर्चा यह भी है कि नरहरि के स्थान पर किसी दूसरे अधिकारी को आयुक्त जनसंपर्क का प्रभार पूर्ण रूप से सौंपा जाए। हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ पी नरहरि को जनसंपर्क से पूरी तरह से मुक्त करने के पक्ष में नहीं है।