भोपाल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब बीएमएचआरसी (BMHRC) को चलाने का जिम्मा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को दे दिया है. भले ही केंद्र सरकार ने बीएमएचआरसी की बागडोर आईसीएमआर के हाथ में दे दी हो, लेकिन फिलहाल इसकी स्थिति बेहद खराब है. अभी यहां कुल 17 विभाग हैं. इनमें चिकित्सकों के 63 पद स्वीकृत हैं. 63 पद के मुकाबले केवल 21 डॉक्टर ही यहां पर काम कर रहे हैं. बाकी 42 डॉक्टरों के पद खाली हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण कई विभाग बंद पड़े हुए हैं. मरीजों को ओपीडी और आईपीडी में इलाज नहीं मिल रहा है. हालांकि अब लोग राहत की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि आईसीएमआर ऑटोनॉमस बॉडी (Autonomous Body) है जो भर्ती और उपकरण खरीदी जैसे फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है.
आईसीएमआर यदि फिर से पीजी इंस्टीट्यूट की कवायद शुरू करता है और बीएमएचआरसी को इसका फायदा मिलेगा. ये ना सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे सेंट्रल इंडिया का पहला पीजी संस्थान होगा. यहां न सिर्फ एमबीबीएस के बाद की पढ़ाई शुरू होगी बल्कि पैरा मेडिकल स्टाफ और सुपर स्पेश्यालिटी सपोर्टिंग स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया जा सकेगा. स्वास्थ्य मंत्रालय के इस निर्णय से जहां पुराने शहर में रह रहे लोगों में एक उम्मीद की किरण जगी है तो वहीं गैस त्रासदी के पीड़ितों को एक नया सवेरा होता दिखाई देने लगा है. लोगों की मानें तो जो लोग सालों से उपचार के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे थे अब सरकार के इस फैसले से उन्हें आशा है कि कुछ तो राहत ज़रूर मिलेगी.