देश मध्य प्रदेश

भेल महाप्रबंधक खुलवाना चाहते हैं कारखाना, प्रशासन नहीं दे रहा अनुमति

प्रशासन से अनुमति नहीं मिली तो भेल अफसरों ने नेताओं से बनाया समन्वय

भोपाल. देश एक ओर जहां कोरोना वायरस संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, वहीं मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा स्थिति भोपाल और इंदौर में खराब हैं। इसके चलते प्रदेश सरकार ने ऐसे क्षेत्रों में औद्योगिक संस्थानों को खोलने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी, जहां स्थिति भयानक है। राजधानी भोपाल स्थित बीएचईएल प्लांट को खोलने के लिए यहां के प्रभारी महाप्रबंधक लगातार प्रयास कर रहे हैं। भोपाल में ही गोविंदपुरा एवं मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्रों में भी सैकड़ों कल-कारखाने को खोलने के लिए शासन स्तर पर कोई अनुमति नहीं दी गई है।

भेल की भोपाल इकाई में उत्पादन कार्य आरंभ करने के लिए भेल के महाप्रबंधकों ने कारखाने में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनसे चर्चा की। इस बैठक में नेताओं से सहमति ली गई है कि जो उत्पादन कार्य मार्च में शेष रह गया है, उसे पूरा कराना है। अब मुद्दा है कि कार्य पूरा होने के बाद कोई जॉब कारखाने से बाहर निकलकर अन्य स्थानों पर किस साधन से भेजा जाएगा। भेल कारखाने में अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों की आवाजाही से कोरोना जैसी बीमारी के मरीज नहीं बढ़ेंगे।

भेल के 80 फीसदी कर्मचारी आसपास की कॉलोनियों में रहते हैं। भेल उपनगरी के आसपास साकेत नगर, अवधपुरी, अयोध्या नगर जैसी अनेक कॉलोनियों में कोरोना के मरीज सामने आए हंै, ऐसी स्थिति में यहां रहने वाले कर्मचारी लॉकडाउन और संक्रमण के खतरे के बीच कारखाने में कैसे आ-जा सकेंगे। भेल के महाप्रबंधक चाहते हैं कि ट्रैक्शन मोटर, ट्रांसफॉर्मर गु्रप में जो काम अंतिम स्टेज पर है, उसे पूरा कर लिया जाए।

जबकि भोपाल को रेड जोन में रखकर यहां किसी भी स्थान पर भीड़ बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और भेल के अधिकारी कुछ कर्मचारियों को बुलाकर कारखाने में उत्पादन काम कराना चाहते है, इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। भेल भोपाल कारखाने में हुई बैठक में प्रमुख रूप से महाप्रबंधक एके वाष्र्णे, पीके मिश्रा, विनय निगम सहित अन्य अधिकारी और तीनों कर्मचारी संंगठनों के दो-दो प्रतिनिधि मौजूद थे।

पीक अवर बीता, फिर जॉब का क्या टेंशन
भेल के कर्मचारी नेता मानते हैं कि जब मार्च माह का पीक अवर बीत गया और उस दौरान केन्द्र सरकार के निर्देश के बाद कारखाने को पूरी तरह से बंद रखा गया तो फिर अब जॉब को ग्राहक तक भेजने का क्या टेंशन है। जब भोपाल को 3 मई तक रेड जोन में रखकर यहां परिवहन सुविधा को पूरी तरह से बंद रखा गया है, तो यहां पर कुछ कर्मचारियों को बुलाकर काम को क्यों पूरा कराया जा रहा है। एक नेता ने कहा कि बाद में ज्यादा समय कार्य कर जॉब को कम समय में पूरा किया जा सकता है, फिर भेल के महाप्रबंधक कर्मचारियों को लॉकडाउन को तोडऩे के लिए क्यों कदम उठा रहे हैं। प्रशासन के अधिकारियों द्वारा किसी तरह की अनुमति भेल को नहीं दी गई है। अफसर तो दबी जुबान में यह भी कह चुके हैं कि आप अपनी रिस्क पर कारखाने में कर्मचारियों को बुला सकते हंै।

भेल कारखाने में जरूरी कामों को पूरा कराने के लिए कुछ कर्मचारियों को प्रशासन के माध्यम से पास बनवाकर आने की अनुमति ली जाएगी। कारखाने में कल कर्मचारी संंगठनों के साथ सामान्य बैठक हुई है।
राघवेन्द्र शुक्ला, अपर महाप्रबंधक, जनसंपर्क विभाग

प्रबंधन के साथ बैठक में मैंने एक ही बात रखी कि कारखाने को 3 मई तक बंद रखा जाए। प्लांट में जो कार्य रह गया है, उसे बाद में अधिक समय देकर पूरा कराया जा सकता है। प्रबंधन कर्मचारियों के स्वास्थ्य का पूरी तरह से ध्यान रखें।
राजेश शुक्ला, प्रतिनिधि सदस्य, ट्रेड यूनियन, इंटक

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