छत्तीसगढ़

भूपेश सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक का क्यों हो रहा विरोध?

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कांग्रेस समर्थित भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) सरकार ने आरक्षण (Reservation) के जरिए सियासी मास्टर स्ट्रोक (Master Stroke) मार दिया है. सीएम भूपेश बघेल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आरक्षण 13 फिसदी बढ़ाने के ऐलान के साथ ही प्रदेश के एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश की है. इतना ही नहीं भूपेश सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के आरक्षण में भी एक फिसदी की वृद्धि कर 12 से 13 फिसदी कर दिया. आरक्षण का पैमाना बढ़ाने के विरोध का स्वर सवर्ण वर्ग से उठना शुरू ही हुआ कि राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा पहले लागू आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के सवर्ण को 10 फिसदी आरक्षण देने के निर्णय को राज्य में भी प्रभावी करने की कैबिनेट में मुहर लगा दी. बावजूद इसके भी अब प्रदेश में आरक्षण को लेकर विरोध शुरू हो गया है.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आरक्षण को लेकर विरोध कौन और क्यों कर रहा है, ये जानेंगे. लेकिन इससे पहले जानते हैं कि नए प्रावधानों के बाद प्रदेश में आरक्षण की नई व्यवस्था कैसी होगी. सूबे में आरक्षण के नए प्रावधानों का छत्तीसगढ़ लोक सेवा संशोधन अध्यादेश 2019 का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया है. इस नई व्यवस्था के जरिए अब राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण 12 से बढ़कर 13 और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण 14 से बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया है. अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया गया है और वह पूर्व की तरह 32 प्रतिशत ही रहेगा. आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण लागू होगा. या​नी कि अब सीधे तौर पर प्रदेश में 82 फिसदी आरक्षण लागू कर दिया गया है.

आरक्षण को लेकर भूपेश सरकार की नई व्यवस्था का भीम रजिमेंट ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. भीम रजिमेंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी का कहना है कि एससी वर्ग को 16 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन वर्तमान सरकार उनके साथ वायदाखिलाफी कर रही है, जिसका विरोध हम करते रहेंगे और आने वाले समय में हमलोग अपने आंदोलन को दिल्ली तक ले जाएंगे. दूसरी ओर बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस सरकार सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए प्रदेश में आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव कर रही है. इसमें कानूनी पेंच फंसेगा. पहले नौकरियों की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए.

जबकि प्रदेश में ओबीसी और एससी वर्ग के आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के फैसले पर कांग्रेस सरकार खुद की पीठ थपथपाने का काम कर ही है. राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री अमरजीत सिंह भगत का कहना है कि ये जनता के हित में लिया गया फैसला है. इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए. बल्कि इसके लिए सरकार की तारीफ की जानी चाहिए. बहरहाल ये तो भविष्य में पता चलेगा कि आखिर भीम रजिमेंट के विरोध का असर राज्य सरकार पर कितना पड़ेगा, लेकिन आरक्षण के इस मामले में धुंआ उठना तो शुरू हो ही गया है.

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