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भीमा-कोरेगांव केस में हार्ड डिस्क को रिकवर करने पुणे पुलिस एफबीआई की लेगी मदद

पुणे
भीमा-कोरेगांव केस में एक जांच के लिए पुणे पुलिस अब अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की ममद लेगी। दरअसल, पुलिस को आरोपी वरवर राव के घर से एक हार्ड डिस्क मिली थी। टूटी-फूटी इस हार्ड डिस्क से डेटा रिकवर करने के लिए पुलिस एफबीआई की मदद लेगी। बता दें कि वरवर राम समेत कई अन्य लोगों के खिलाप आरोप है कि उन्होंने भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई थी।
जानकारी के मुताबिक, इस मामले में हार्ड डिस्क से कुछ सबूत मिल सकते हैं। इसीलिए फरेंसिक एक्सपर्ट्स और पुलिस की एक टीम जल्द ही अमेरिका रवाना हो सकती है। पुणे पुलिस के केस के मुताबिक 31 दिसंबर, 2017 को सीपीआई (माओवादी) के फंड से एल्गार परिषद का आयोजन किया गया, जो सरकार को हटाने की साजिश का एक हिस्सा था।

कोरेगांव-भीमा हिंसा में भूमिका
पुलिस ने दावा किया कि यहां दिए गए कथित भड़काऊ बयानों ने 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा की जातिवादी हिंसा में भूमिका निभाई। 6 जून, 2018 के बाद से पुलिस ने 9 ऐक्टिविस्ट्स- सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोन्साल्वेज को सीपीआई (माओवादी) से कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया है।

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