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भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ लंदन की अदालत में विजय माल्या द्वारा की गई अपील खारिज


भगोड़े शराब कारोबारी को नहीं मिली राहत

नई दिल्ली. किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख और देश के भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को प्रत्यर्पण मामले में लंदन की अदालत से झटका लगा है। लंदन की हाईकोर्ट में माल्या ने अपने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी, जिसमें उसे हार मिली है। किंगफिशर एयरलाइंस के 64 वर्षीय पूर्व प्रमुख ने इस साल फरवरी में भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिस पर सोमवार को फैसला आया है। लंदन रॉयल कोर्ट में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लिंग की दो सदस्यीय पीठ ने माल्या की अपील खारिज कर दी।

सूत्रों की माने तो लंदन की न्यायिक प्रणाली के अनुसार विजय माल्या 14 दिनों के भीतर आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं। यदि वह निर्धारित अवधि के भीतर अपील नहीं करते हैं, तो हम प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू करेंगे।

इससे पहले बीते 10 अप्रैल को शराब कारोबारी विजय माल्या को राहत देते हुए लंदन में उच्च न्यायालय ने एसबीआई के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें कर्ज के बोझ से दबे कारोबारी को दिवालिया घोषित करने की मांग की गई थी, ताकि उससे तकरीबन 1.145 अरब पाउंड का कर्ज वसूला जा सकें।

उच्च न्यायालय की दिवालिया शाखा के न्यायाधीश माइक ब्रिग्स ने माल्या को राहत देते हुए कहा था कि जब तक भारत के उच्चतम न्यायालय में उनकी याचिकाओं और कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष समझौते के उनके प्रस्ताव का निपटारा नहीं हो जाता तब तक उन्हें वक्त दिया जाना चाहिए। ‘चीफ इन्सोल्वेंसी एंड कंपनी कोर्ट’ के न्यायाधीश ब्रिग्स ने अपने फैसले में कहा था कि इस समय बैंकों को इस तरह की कार्रवाई आगे बढ़ाने का मौका देने की कोई वजह नहीं है। बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समूह ने माल्या को दिवालिया घोषित करने का अनुरोध किया है, ताकि उस पर बकाया करीब 1.145 अरब पाउंड का कर्ज वसूला जा सके।

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