न्यूयॉर्क
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालांकि कहा था कि वह कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बात कर रहे हैं, लेकिन उनकी बैठक को लेकर अमेरिका के आधिकारिक बयान में इसे विशेष रूप से शामिल नहीं किया गया था। दावोस में मंगलवार (21 जनवरी) को हुई बैठक में आधिकारिक बयान में सिर्फ 'क्षेत्रीय मुद्दों' का उल्लेख किया गया। इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें से प्रमुख रूप से अफगानिस्तान रहा, जहां अमेरिका तालिबान के साथ समझौते के लिए बातचीत कर रहा है।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, अपनी बैठक से पहले ट्रंप ने कहा, “हम कश्मीर के बारे में और पाकिस्तान व भारत के संबंधों के बारे में बात कर रहे हैं। अगर हम मदद कर सकते हैं, तो हम निश्चित रूप से मदद करेंगे। उन्होंने कहा, “हम इस पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।” ट्रंप अतीत की तुलना में कश्मीर मुद्दे में संभावित भागीदारी को लेकर अपने शब्दों में सावधानी बरत रहे थे। अपने बयान में उन्होंने कहा, “अगर हम मदद कर सकते हैं।”
यह साफ तौर पर भारत के कश्मीर को लेकर तीसरे पक्ष के विरोध की वजह से है या 1972 के शिमला समझौते के कारण जिसमें दो देशों के बीच किसी भी विवाद को द्विपक्षीय रूप से हल किए जाने का समझौता है। ट्रंप ने पिछले साल जुलाई में कूटनीतिक रूप से हंगामा खड़ा किया, जब उन्होंने वॉशिंगटन में खान के साथ बैठक से पहले दावा किया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था।
भारत ने ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के इस दावा का सख्ती से खंडन किया। बयान के अनुसार, खान ने सुझाव दिया कि अमेरिका, भारत के साथ मुद्दों को हल करने में भूमिका निभाए। उन्होंने कहा, “हमारे लिए, पाकिस्तान में, यह एक बड़ा मुद्दा है। निसंदेह हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि अमेरिका इसे सुलझाने में अपनी भूमिका निभाएगा, क्योंकि कोई अन्य देश नहीं कर सकता है।”
ट्रंप व खान के बीच मंगलवार (21 जनवरी) का फोकस अफगानिस्तान था, जहां अमेरिका शांति समझौते के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है, जिससे अमेरिका को वहां से अपने सैनिकों को हटाने में मदद मिलेगी और वह अपनी मौजूदगी कम करेगा।