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भारत और चीन एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, मोदी और शी की मुलाकात से पहले चीनी राजदूत बोले

 
ममल्लापुरम/नई दिल्ली

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शुक्रवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय दौरे से ठीक पहले भारत में चीन के राजदूत ने महत्वपूर्ण बयान दिया है। कश्मीर पर बदलते रुख के बीच चीनी राजदूत ने कहा कि भारत और चीन एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दो एशियाई दिग्गजों के बीच ज्यादा सहयोग क्षेत्र और क्षेत्र के बाहर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करेगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में भारत में चीन के राजदूत सन वेडॉन्ग ने कहा, 'पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच शुक्रवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भारत-चीन संबंधों के विकास को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है।'
 उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे डिवेलपिंग और उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश भारत और चीन की यह जिम्मेदारी है कि वे 'जटिल दुनिया' में सकारात्मक ऊर्जा भरें। उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि यह समिट द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगी, साथ ही क्षेत्र और दुनिया में शांति, स्थायित्व और विकास पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगी।'
 
आपको बता दें कि शी शुक्रवार को करीब 24 घंटे के लिए चेन्नै आएंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच कश्मीर के मुद्दे को लेकर भी चर्चा हो सकती है। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने बुधवार को ही चीन के सामने कश्मीर के मुद्दे को उठाया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शुक्रवार सुबह 11:15 बजे चेन्नै पहुंच जाएंगे।

दोनों देश एक-दूसरे के लिए विकास के मौके: चीन
सन ने कहा, 'दोनों देश एक दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं बल्कि विकास के मौके हैं। चीन और भारत के बीच सहयोग न केवल एक-दूसरे के विकास में योगदान देगा, बल्कि विश्व बहु-ध्रुवीकरण और आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा और विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा करेगा।' चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर भी गहन चर्चा होगी। इसके साथ ही चीन और भारत के बीच संबंधों के विकास को लेकर दीर्घकालिक मुद्दों पर गहन चर्चा होगी।
 
सन ने कहा, 'पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच आम सहमति का एक नया अजेंडा तय हो सकता है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के परिवर्तन के लिए एक साझा दृष्टिकोण, क्षेत्रीय मामलों में चीन और भारत की सामान्य जिम्मेदारी और भूमिका के साथ विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग के विकास की दिशा में मार्गदर्शक सिद्धांत शामिल हैं।'

'भारत-चीन के संबंधों से विकासशील देशों को भी फायदा'
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच गहरे संबंध से विकासशील देशों को भी फायदा होगा। साथ ही एकतरफा और संरक्षणवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में भी आसानी होगी। चीनी राजदूत ने कहा कि एकपक्षवाद, संरक्षणवाद और व्यापारिक मतभेद इन दिनों चरम पर हैं।

व्यापार असंतुलन पर क्या कहा
वहीं, चीन की वाणिज्य दूत झू शियाहॉन्ग ने गुरुवार को कहा कि व्यापार सुविधा के लिए चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और दोतरफा व्यापार के विस्तार के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनानी होंगी। इससे भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने में मदद मिल सकती है। शियाहॉन्ग ने यहां कहा कि अभी दोनों देशों के बीच भविष्य की कोई व्यापार सुविधा व्यवस्था नहीं है।
 

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