वॉशिंगटन
अमेरिका के मैककॉर्ड स्थित जॉइंट बेस लेविस में भारत और अमेरिकी सेना के बीच चल रहे 19वें संयुक्त युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक एक गाने पर झूमते नजर आए। यह गाना था, 'बदलूराम का बदन जमीन के नीचे रहता है।' दरअसल, यह गाना भारतीय सेना के असम रेजिमेंट का मार्चिंग सॉन्ग है जिस पर दोनों देशों के सैनिक झूमते नजर आ रहे हैं।
बदलूराम का बदन…गाना जितना गाने में अच्छा लगता है, उतनी ही प्रेरणादायी कहानी इसके पीछे छिपी हुई है। यह गाना द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानी सेना के साथ संघर्ष करते शहीद हुए राइफलमैन बदलूराम को समर्पित है। बदलूराम की मौत के बाद उनका क्वार्टर मास्टर उनका नाम हटाना भूल गया और उसकी जानकारी भी सेना को नहीं दे सका। इसके फलस्वरूप लगातार उनके नाम से राशन आता रहा।
बदलूराम के नाम से आए अतिरिक्त राशन से काम चलाया
हालांकि बाद में यही अतिरिक्त राशन उनकी रेजिमेंट के लिए वरदान साबित हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने भारतीय जवानों की सप्लाइ काट दी। ऐसे में भारतीय बटैलियन ने बदलूराम के नाम से आए अतिरिक्त राशन से काम चलाया। पूरे युद्ध के लिए यह अतिरिक्त राशन निर्णायक साबित हुआ। बाद में भारतीय सेना ने सप्लाई लाइन बहाल की। शहीद होने के बाद भी अपने बटैलियन की मदद करने वाले बदलूराम की याद में यह गीत बनाया गया।
असम रेजिमेंट पिछले 70 साल से यह गीत गा रही है। असम रेजिमेंट के शिलांग स्थित केंद्र में कसम परेड के बाद नए रंगरूट 'बदलूराम का बदन जमीन के नीचे रहता है' गाना गाते हैं और डांस करते हैं। इस गीत के बोल अमेरिका के मार्चिंग सॉन्ग 'जॉन ब्राउन बॉडी' पर आधारित हैं। यह गीत अमेरिकी गृह युद्ध के समय काफी पॉप्युलर हुआ था।
पूरा गाना इस प्रकार है….
एक खूबसूरत लड़की थी…
उसको देख के राइफलमैन…
चिंदी खींचना भूल गया…
हवलदार मेजर देख लिया…
उसको पिट्टू लगाया…
बदलूराम एक सिपाही था…
जापान वॉर में मर गया…
क्वॉर्टर मास्टर स्मार्ट था…
उसने राशन निकाला…
बदलूराम का बदन जमीन के नीच रह गया…
तो हमें उसका राशन मिलता है…
शाबाश…हल्लेलुजाह…
तो हमें उसका राशन मिलता है…