वॉशिंगटन
अमेरिका में पीएम नरेंद्र मोदी के 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम से पहले भारत और पाकिस्तान के प्रवासी नागरिकों के बीच जंग छिड़ गई है। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों ने इस आयोजन से पहले पाकिस्तानियों पर प्रॉपेगैंडा चलाने का आरोप लगाया है। भारत समर्थक ऐक्टिविस्ट्स का कहना है कि सैकड़ों की संख्या में मस्जिदों और इस्लामिक सेंटर्स में लोग पहुंचे हैं और कार्यक्रम के विरोध की योजना बनाई जा रही है।
खासतौर पर ऐसे विरोध के लिए मस्जिदों को केंद्र के तौर पर चुनने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मोदी की इस रैली के समर्थकों ने ह्यूस्टन पुलिस, एफबीआई, यूएस सीक्रट सर्विस और इमिग्रेशन अथॉरिटीज को टैग कर इसकी शिकायत की है। इस कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने वाले हैं। भारत समर्थकों का कहना है कि मस्जिद एक इबादत स्थल है और उसका इस्तेमाल राजनीतिक मकसदों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। यह मामला सबसे पहले तब सोशल मीडिया पर आया जब एक ऐक्टिविस्ट ने 13 पिक-अप लोकेशंस की जानकारी देते हुए कहा कि इन जगहों से 'हाउडी मोदी' इवेंट के खिलाफ प्रदर्शन के लिए लोगों को ले जाया गया है।
आखिर मस्जिदों में ही क्यों रही मोदी के खिलाफ चर्चा
भारतीय मूल के नागरिक ने लिखा, 'मोदी और ट्रंप के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों को मस्जिदों से पिक किया जा रहा है। देखें, ये कैसे काम कर रहे हैं? मस्जिदें सिर्फ इबादतगाह ही नहीं है। ये समन्वय और नियंत्रण का ठिकाना भी हो गई हैं।' इस पर जवाब देते हुए पाकिस्तान समर्थक एक शख्स ने लिखा, 'ऐसे ही जैसे कि चर्च, विलेज गॉल्स, टाउन हॉल्स, स्कूल और अन्य जगहों पर स्थानीय समुदाय के लिए काम किए जाते हैं। आप क्या कहेंगे?' इस पर एक अन्य शख्स ने जवाब दिया, 'उनका सवाल है कि आखिर मस्जिदों में ही क्यों? अन्य लोकल कम्युनिटी बिल्डिंग्स जैसे चर्च, विलेज हॉल्स और टाउन हॉल्स और स्कूलों में ऐसा क्यों नहीं?'
भारतीय बोले, मंदिरों से जुटते तो 'हिंदू टेरर' का लगता लेबल
इस पर एक अन्य भारतीय ने लिखा, 'आप कल्पना करिए कि यदि इस तरह से लोगों को मंदिरों से जुटाया जाता तो अब तक 'हिंदू टेरर' का लेबल लग जाता।' यही नहीं भारतीय मूल के नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन से अलर्ट रहने की अपील करते हुए कहा कि इससे पहले पाकिस्तानी लंदन और प्रिटोरिया में प्रदर्शन के नाम पर हिंसा फैला चुके हैं।