नई दिल्ली
महाराष्ट्र में सरकार गठन की कवायद दीपावली के बाद शुरू होगी। इस बीच भाजपा नेतृत्व ने साफ संकेत दिए हैं कि मुख्यमंत्री पद उसके पास ही रहेगा और उस पर कोई समझौता नहीं होगा। हालांकि भाजपा सरकार में शिवसेना को लगभग चालीस फीसदी मंत्री पद दे सकती है। पिछली बार की तुलना में शिवसेना को कुछ अहम मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं। उप मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच दीपावली के बाद होने वाली बातचीत के बाद होगा।
महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों ने भाजपा और शिवसेना गठबंधन स्पष्ट बहुमत हासिल करने में तो सफल रहा है, लेकिन विधानसभा के अंकगणित को देखते हुए दोनों दलों के बीच अंदरूनी टकराव बढ़ गया है। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की घटी ताकत को देखते हुए शिवसेना दबाब बना रही है और मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दावा ठोक रही है। चूंकि ठाकरे परिवार ने पहली बार चुनाव लड़ा और आदित्य ठाकरे विधायक बने हैं ऐसे में शिवसेना उन्हें बतौर मुख्यमंत्री पेश कर रही है और दोनों दलों के बीच चुनाव के पहले के पचास-पचास फीसद के समझौते की याद भाजपा को दिला रही है।
उप मुख्यमंत्री व ज्यादा मंत्रालय के लिए दबाब : माना जा रहा है कि शिवसेना का यह दबाब सरकार में पहले से ज्यादा और मलाईदार मंत्रालय लेने के लिए है। साथ ही वह उप मुख्यमंत्री पद की भी मांग कर सकती है। हरियाणा में नए सहयोगी को उप मुख्यमंत्री पद देने के बाद शिवसेना का दावा मजबूत हुआ है। शिवसेना का यह भी कहना रहा है कि जब भाजपा छोटे भाई के रूप में थी तो उसने उसे उप मुख्यमंत्री पद दिया था।
भाजपा फॉर्मूले की बात से सहमत नहीं
भाजपा सूत्रों ने 50-50 फीसदी के किसी फॉर्मूले से इंकार किया और कहा कि यह तय हो चुका है कि भाजपा बड़े भाई की भूमिका में रहेगी। सीटों का बंटवारा हो या फिर जीती हुई सीटों की संख्या भाजपा, शिवसेना से बहुत आगे हैं। अगर शिवसेना की ज्यादा सीटें आती तो बात अलग होती, लेकिन भाजपा गठबंधन ही नहीं। सभी दलों में सबसे बड़ी पार्टी और और किसी भी दल की तुलना में वह लगभग दो गुने की संख्या में है।
गठबंधन में लड़ने का नहीं हुआ फायदा
भाजपा और शिवसेना को गठबंधन में लड़ने का फायदा नहीं हुआ है। पिछले चुनाव में अलग अलग लड़कर भाजपा ने 122 व शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं। इस बार गठबंधन से दोनों को सीटें बढ़ने की उम्मीद थी। पर भाजपा को 17 व शिवसेना को सात सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा को 105 व शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। 288 सदस्यीय विधानसभा में राकांपा को 54 व कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं।