नई दिल्ली
देश में 'ध्रुवीकरण' और 'हिंदुत्व' पर चर्चा के बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना सैयद अरशद मदनी के बीच मुलाकात हुई है। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने देश की राजनीतिक परिस्थितियों और सामाजिक सद्भाव के लिए सहयोग पर चर्चा की। मीटिंग में संघ प्रमुख ने मदनी के तमाम सवालों के जवाब देते हुए बताया कि हिंदुत्व कैसे भाईचारे को मजबूत करता है। आरएसएस सूत्रों ने मीटिंग की पुष्टि करते हुए कहा कि यह दिल्ली स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज में हुई। इस मीटिंग के दौरान बीजेपी के पूर्व संगठन महामंत्री रामलाल भी मौजूद थे।
दोनों नेताओं के बीच यह अप्रत्याशित मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली। मदनी ने मीटिंग को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'हम पब्लिक प्लैटफॉर्म पर भी भाईचारे के संदेश के लिए एक साथ दिख सकते हैं। लेकिन, जब तक इसके लिए मेरे पास कोई निश्चित प्लान नहीं है। मैं कुछ कह नहीं सकता। देखते हैं कि चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं।'
आरएसएस सूत्रों ने बताया कि मदनी को काफी दिनों पहले ही आमंत्रण दिया गया था। उन्हें विज्ञान भवन में आयोजित संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम में भी बुलाया गया था, लेकिन मदनी गोरक्षकों की कथित हिंसा के विरोध में दूर रहे। इसके बाद भागवत के प्रतिनिधियों ने मदनी को बताया कि संघ किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करता है और कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर यह बात कही है।
भविष्य में चर्चा जारी रखने पर बनी सहमति
आरएसएस से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'हम नियमित अंतराल में ऐसी चर्चाएं करते रहते हैं। आरएसएस अकसर अलग-अलग समुदायों के नेताओं से मिलता है। हिंदू-मुस्लिम एकता के नजरिए से यह मुलाकात महत्वपूर्ण थी। दोनों ही पक्ष चर्चा से संतुष्ट थे और भविष्य में भी बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी।'
मोहन भागवत ने समझाया, कैसे हिंदुत्व करता है भाईचारे की बात
मदनी ने कहा कि उन्होंने मीटिंग के दौरान सावरकर और गोलवलकर के विचारों को लेकर आरएसएस से असहमति जताई। इस पर संघ प्रमुख ने बताया कि किस तरह से हिंदुत्व भाईचारे की बात करता है। कैसे हिंदू और मुस्लिम एक-साथ रह सकते हैं। मदनी ने कहा कि यदि इस तरह से चीजें चलती हैं तो फिर अलग-अलग विचारधारा होने के बाद भी लोग साथ आ सकते हैं।