भोपाल
महंगाई से जूझ रहे राज्य कर्मचारियों को सरकार ने तगड़ा झटका दिया है। राज्य कर्मचारियों की भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज दरों को घटा दिया गया है। इसका सीधा असर राज्य के 10 लाख से अधिक सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों पर पड़ेगा। इसमें शासकीय और अर्धशासकीय निगम-मण्डल, बोर्ड और निकायों के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। राज्य सरकार के निर्णय से कर्मचारी-अधिकारियों को प्रतिवर्ष ब्याज में ढाई हजार से 25 हजार रुपए का नुकसान होगा।
पिछले वर्ष राज्य कर्मचारियों को भविष्य निधि पर 8 ब्याजदर मिलती थी, लेकिन अब इसे घटाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया गया है। 11 फरवरी को जारी आदेश में कहा गया है कर्मचारियों को यह ब्याज दर जुलाई 2019 से मार्च 2020 तक मिलेगी। कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारियों का जमा फण्ड होता है, जिसे राज्य सरकार उनके वेतन से राशि काटकर उनके खाते में जमा करती है। ये खाता कर्मचारियों के लिए होता है। उनको इसका पैसा रिटायरमेंट के बाद मिलता है। इसी पर ब्याज मिलता है। इसमें प्रदेश के कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि, अंशदायी भविष्य निधि, पटवारी विशेष भविष्य निधि, मध्य भारत जीवन बीमा निधि, विभागीय भविष्य निधि शामिल है।
पांच साल पहले साढ़े 9 फीसदी मिलता था ब्याज –
पांच साल पहले तक राज्य कर्मचारियों को जीपीएफ में कर्मचारियों को जीपीएफ में साढ़े 9 प्रतिशत ब्याज मिलता है, लेकिन साल-दर साल दर इसमें कमी होती जा रही है। अब यह घटते-घटते 7.9 प्रतिशत तक रह गया है। जमा पूंजी में ब्याज दरें घटने के कारण कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ी है।
बाजार दर से लिंक करने पर नुकसान –
वर्ष 2015-16 तक कर्मचारियों की जमा पूंजी पर ब्याज दर वार्षिक मिलती थी, लेकिन इसके बाद से इसे बाजार दर से लिंक कर दिए जाने के कारण दरें त्रैमासिक निर्धारित कर दी गईं। वार्षिक दर होने से कर्मचारियों को लाभ था। महंगाई घटने और बढऩे से इनकी ब्याज दरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था, लेकिन अब इसका बाजार दर का असर सीधे इनकी जमा पूंजी पर पड़ता है।
ऐसी रही ब्याज दर –
– वित्तीय वर्ष 2013-14 में 8.7 प्रतिशत वार्षिक
– वित्तीय वर्ष 2015-16 में 8.7 प्रतिशत वार्षिक
– सितम्बर 2016 तक 8.1 प्रतिशत, इसके बाद मार्च 2017 तक 8 प्रतिशत
– जून 2018 तक 7.8 प्रतिशत
– जुलाई 2018 से जून 2019 तक 8 प्रतिशत
– मार्च 2020 तक 7.9 प्रतिशत