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बैंकों को वित्त मंत्री की नसीहत, अपनी ‘ताकत और कमजोरी’ के हिसाब से बांटे लोन

 
चेन्नै

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चेन्नै में एक कार्यक्रम में बैंकों को एक नसीहत दी और कहा कि उन्हें कारोबार का विस्तार करने से पहले अपनी ताकत और कमजोरी का बेहतर आकलन करना चाहिए। अगर बैंकों को यह अंदाजा हो जाए कि वे कितने मजबूत हैं और उस हिसाब से अपना धीरे-धीरे विस्तार करेंगे तो विकास निश्चित है। वह तमिलनाडु में स्थापित सिटी यूनियन बैंक के 116वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं।

बैंक नाम पर संदेह पैदा हो गया है- सीतारमण
सीतारमण ने कहा कि बैंकों के बीच एक होड़ सी मची हुई है कि उन्हें अपने कारोबार का तेजी से विस्तार करना है और पूरे देश में शाखा खोलनी है। इस होड़ के कारण क्षमता से अधिक अपना विस्तार कर लेना बैंकों के लिए हानिकारक हो रहा है। वित्त मंत्री ने तो यहां तक कहा कि आजकल देश में 'बैंक' शब्द के नाम पर संदेह पैदा होने लगे हैं। बैंकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके कर्मचारी की एक छोटी सी गलती भी भी उनके काम पर सवाल खड़ा कर सकती है।

बैंकों को आर्थिक और छवि का नुकसान
पिछले कुछ सालों में बैंकिंग सेक्टर में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण बैंकों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ छवि का भी नुकसान हुआ है। बैड लोन का बोझ बहुत अधिक हो गया है। कई बैंकों को भारी नुकसान हुआ है। इन तमाम वजहों से बैंक ज्यादा लोन भी नहीं बांट पा रहे हैं। RBI डेप्युटी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने शुक्रवार को कहा था कि बैंकों को ज्यादा पारदर्शिता बरतनी चाहिए और बैड लोन या फ्रॉड जैसी घटनाओं के बारे में बताना चाहिए। वह जितना छिपाएंगे उनकी नींव कमजोर होगी और क्षमता पर भी असर होगा।

इसलिए हुआ था बैंकों का विलय
बैंकों को मजबूत करने के लिए अगस्त के महीने में सरकार ने देश के 10 सरकारी बैंकों का विलय कर दिया था। 6 छोटे-छोटे बैंकों को 4 बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया था। इससे बैंकों का आकार बढ़ गया और लोन बांट पाने की क्षमता भी बढ़ी। बैंक का आकार जितना बड़ा होगा, वह उतना ज्यादा रिस्क भी ले सकता है और कम ब्रांच होने से ऑपरेशनल कॉस्ट भी कम होता है
 

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