भोपाल
मध्य प्रदेश में 10 महीने में कमलनाथ सरकार (Kamal Nath government) ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर बेरोजगारी की दर को कम कर दिया है. ये खुलासा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट में हुआ हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में बेरोजगारी (Unemployment) की दर 7 प्रतिशत से घटकर 4.2 प्रतिशत पहुंच गई है. जबकि इस रिपोर्ट ने बीजेपी के मॉडल स्टेट को फिसड्डी साबित कर दिया है. हालांकि रिपोर्ट आने के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में घमासान शुरू हो गया है. जबकि कांग्रेस सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बेरोजगारी घटने का श्रेय सीएम कमलनाथ की नीतियों को दिया है.
देश में बेरोजगारी दर तेज़ी से बढ़ रहा है, तो मध्य प्रदेश के लिए बेरोजगारी दर के आकड़ों में आई कमी कांग्रेस सरकार की पीठ थमथपा रही है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट में ये देखने को मिला की राज्य में 10 महीने पहले बनी कांग्रेस सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाकर बेरोजगारी दर में गिरावट लाई है. 2018 के दिसंबर में राज्य में बेरोजगारी की दर 7 प्रतिशत थी जो 2019 में घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई है.
सीएम कमलनाथ ने बेरोजगारी कम होने का श्रेय छिंदवाड़ा मॉडल की सफलता को दिया है. चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का भी रहता है जिसका खामियाज़ा पिछली सरकार को सत्ता खो कर चुकाना पड़ा. बीजेपी के कार्यकाल में अंतिम डेढ़ साल में बेरोजगारी का ग्राफ 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत हो गया था जिसके कारण अनियंत्रित हुई बेरोज़गारी जनता के गुस्से का कारण बनी. सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा मॉडल को सक्सेस का क्रेडिट दिया है, तो वहीं कांग्रेस अब इस मॉडल को मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में भी लागू करने की ओर प्रयासरत है.
इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि ये सर्वे बेबुनियाद है, क्योंकि सीएम ने अब तक अपनी किसी भी योजना के आकड़े जनता के सामने उजागर नहीं किए हैं. भाजपा के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि अगर सीएम खुद अपनी नीतीयों के आकड़ों को जनता के बीच बताएंगे तभी ये सर्वे सही माना जाएगा.