भोपाल
प्रदेश के बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की जांच के लिए राज्य आर्थिक अपराध शाखा ने कमर कस लिया है। 3800 करोड़ रुपये के इस मेगा घोटाले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। योजना से जुड़े दस्तावेजों पर यकीन करें तो 5 टन के पत्थर स्कूटर से ढोए गए थे। साथ ही इलाके में दो हफ्ते के अंदर 100 से ज्यादा बकरियों की मौत हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि साल 2009 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के 13 जिलों में विकास कार्यों के लिए 7 हजार 266 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इनमें 3 हजार 800 करोड़ रुपये केवल मध्य प्रदेश के लिए दिए गए थे। केंद्र सरकार ने इलाके की तस्वीर बदलने के लिए यह बजट पास किया था लेकिन यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। बताया गया कि मेगा करप्शन का यह मामला सामने ही नहीं आता अगर टीकमगढ़ के रहने वाले पवन ग्वारा ने इसे उठाया न होता।
साल 2014 में हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए इस फंड में अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। प्रशासनिक हलकों में अभी जांच जारी ही थी कि प्रदेश की भाजपा सरकार चुनाव हार गई और शिवराज सिंह सीएम का पद खो बैठे। इसके बाद आई कांग्रेस सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी है।