जबलपुर
चुनावी घमासान में एमपी स्टेट बार काउंसिल (एसबीसी)और बार काउंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआई) आमने-सामने आ गए हैं। बीसीआई ने लैटर जारी कर एसबीसी सेक्रेट्री प्रशांत दुबे को चुनाव अधिकारी पद पर कार्य नहीं करने आदेशित किया है तो प्रशांत दुबे ने लैटर भेजकर बीसीआई चेयरमैन मनन मिश्रा को लिखा है कि बीसीआई को इस चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप का अधिकार ही नहीं है। एसबीसी की ओर से एक लैटर महाधिवक्ता शशांक शेखर को भी भेजा गया है जिसमें साफ कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से यह चुनाव हो रहे हैं इसलिए महाधिवक्ता की भी इसमें कोई भूमिका नहीं है। इस पर बीसीआई की ओर से पलटवार करते हुए महाधिवक्ता को शासकीय प्रिटिंग प्रेस से मतपत्र प्रिंट करवाने स्वतंत्र कर दिया गया है।
इस घमासान के बीच बीसीआई चैयरमेन मनन मिश्रा ने साफ कर दिया हैै कि एसबीसी सेके्रट्री प्रशांत दुबे सिर्फ एक पूर्णकालिक कर्मचारी हैं इसलिए उनसे निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं की जा सकती जबकि महाधिवक्ता एसबीसी के सदस्य होते हैं। चूंकि पूर्व में इस चुनाव में गड़बड़ी की अनेक शिकायत बीसीआई तक आई हैं इसलिए फर्जी मतपत्र और मतदान रोकने महाधिवक्ता को इस कार्रवाई के लिए अधिकृत किया जा रहा है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो चुनाव रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही महाधिवक्ता को चुनाव के लिए किसी रिटायर्ड डीजे अथवा हाईकोर्ट जज को चुनाव अधिकारी बनाने निर्णय लेने स्वतंत्र किया गया है। बता दें कि आगामी 2 दिसम्बर को स्टेट बार काउंसिल चुनाव के लिए कुल 145 अधिवक्ता मैदान में हैं जिनके द्वारा रोज नए-नए आरोप-प्रत्यारोप शिकायत की जाने से वकीलों की राजनीति गर्माई हुई है। इसके चलते बीसीआई तक पहुंची शिकायत पर बीसीआई ने हस्तक्षेप किया है।