भोपाल
राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता और डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा द्वारा सीएए समर्थित रैली में मारे गए चांटे के प्रतिरोध में एफआईआर कराने पहुंची बीजेपी के विरोध में ब्यूरोक्रेसी और अफसरों, कर्मचारियों ने मोर्चा खोल लिया है। कल पूर्व मंत्री बद्रीलाल द्वारा कलेक्टर निवेदिता को लेकर की गई टिप्पणी के बाद आईएएस एसोसिएशन मुख्यमंत्री कमलनाथ के भोपाल लौटने का इंतजार कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष आईसीपी केशरी ने कहा है कि इस मामले में सीएम से कार्यवाही की मांग की जाएगी। वहीं राजगढ़ में अधिकारियों व कर्मचारियों ने आज काम बंद रखने का फैसला लिया है। कलेक्टेÑट के बाहर एकत्र कर्मचारियों व अधिकारियों ने पूर्व मंत्री के बयान के विरोध में यह बंद रखा।
सोशल मीडिया पर गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार ने साथी आईएएस अधिकारियों अभिषेक सिंह, आशीष सिंह, स्वरोचिष सोमवंशी, स्वाती मीणा, कौशलेंद्र विक्रम सिंह, प्रतिभा पाल, दीपक आर्य को कोड करते हुए पूर्व विधायक बद्रीलाल द्वारा राजगढ़ कलेक्टर को लेकर की गई टिप्पणी का विरोध करते हुए इस पर लम्बा संवाद किया है। लक्षकार ने एक पोस्ट के जवाब में लिखा है कि थप्पड़ के लिए आप कलेक्टर को फांसी पर टांग दीजिए, किसने रोका है लेकिन आप उसके स्त्रीत्व को लेकर टिप्पणियां करेंगे सार्वजनिक मंच से? बहरहाल आपको बात समझ नहीं आएगी। इसका समर्थन सिर्फ जाहिल लोग ही कर रहे हैं। सभ्य समाज भी इस टिप्पणी को गलत ही बता रहा है। अफसोस हम इस तरह के बड़बोले और असभ्य लोगों को फांसी पर नहीं चढ़ा सकते। हालांकि कई लोगों ने इस मामले में लक्षकार को भी घेरा है कि उनके कलेक्टर मुरैना रहने के दौरान पटवारी ने तहसीलदार को चांटा मारा था, तब उन्हें कुछ गलत नहीं लगा। जब उन्होंने एक फौजी को चांटा मारा था तब गलत नहीं लगा।
इसी पोस्ट में आईएएस अभिषेक सिंह ने इन संदर्भों के आधार पर प्रश्न करते हुए लिखा है कि क्या मेरे किसी भी कृत्य से आपको अपनी शालीनता त्यागनी चाहिए? क्या इससे आपको कोई अपराध करने का अधिकार प्राप्त होता है? महात्मा गांधी के अनुसार किसी भी विरोध में उसकी गरिमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।