भोपाल
मध्य प्रदेश के आगामी बजट सत्र के दौरान कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए बीजेपी ने नई रणनीति तैयार की है. इस रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए मध्य प्रदेश में बीजेपी के आला नेताओं की ताबड़तोड़ बैठकों का दौर जारी हो चुका है. इसी कड़ी में आज यानी सोमवार को एक बैठक भोपाल स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में हुई. इस बैठक में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा , पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल संभाग के विधायक शामिल हुए.
एकजुटता का दिया संदेश
संभाग बार विधायकों की बैठक में तमाम पदाधिकारियों ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की. इस एक जुटता को विधानसभा उपचुनावों, राज्यसभा चुनाव, बजट सत्र में दिखाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही, सत्र में विधायकों की समस्या और क्षेत्रीय समस्याओं पर भी चर्चा की गई. भोपाल नरेला विधानसभा के विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि मौजूदा सरकार जनता के हित में काम नहीं कर रही है. प्रदेश की सरकार जनता से किए वादों को पूरा करने में विफल रही है. जिसका खामियाजा सरकार को आगामी उपचुनावों में भुगतना होगा. उन्होंने कहा कि अभी तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है. अब उपचुनावों को लेकर सरकार तमाम झूठी घोषणाएं कर रही है.
सरकार पर लगाए आरोप
विधायकों की संभागवार बैठकों पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि कांग्रेस सरकार के राज में विधायकों का अपमान हो रहा है. आलम यह है कि सरकारी कार्यक्रमों में बीजेपी के विधायकों को न ही बुलाया जा रहा है और न ही निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बजट सत्र में जिन मुद्दों को विपक्ष उठायेगा, उस पर विधायकों की तैयारियों पर चर्चा करेंगे.गोपाल भार्गव ने कहा कि सभी विधायक एक जुट हैं और चट्टान की तरह विधायक दल के साथ खड़े हैं. इस बैठक में विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने भी हिस्सा लिया है.
अब तक नहीं पूरे हुए वादे
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अभी तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है. बेरोजगारों को भत्ता नहीं मिला और कन्या दान विवाह योजना की राशि भी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि कन्या दान योजना की राशि नहीं मिलने के कारण कई महिलाओं के तलाक हो गए हैं और कई महिलाओं को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. इतना ही नहीं, ओला वृष्टि से फसल बर्बाद हो गई, किसान परेशान हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.