पटना
बिहार में संचालित 71 हजार 244 सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों के करीब एक लाख रिक्त पदों पर चल रही नियोजन की निर्धारित कार्रवाई तत्काल स्थगित कर दी गयी है। शिक्षा विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज ने मंगलवार को इसकी सूचना राज्यभर की करीब 9000 नियोजन इकाइयों को दे दी है। विभाग ने 18 माह के डीएलएड कोर्स करने वालों को एक माह में नियोजन का हिस्सा बनाने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर विधि विभाग से परामर्श के बाद यह कार्रवाई की है। गौरतलब हो कि शिक्षा विभाग ने अगस्त 2019 में प्रारंभिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया आरंभ की थी। बाद में इसमें कुछ संशोधन भी किए गए। इसको लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा 22 अगस्त 2019, 4 अक्टूबर 2019 एवं 22 नवम्बर 2019 विभिन्न दिशा निर्देश जारी किए गए थे।
शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से 18 माह के डीएलएड प्रशिक्षण की मान्यता को लेकर परामर्श के उपरांत सभी नियोजन इकाइयों को 11 सितम्बर 2019 को निर्देश दिया कि इस प्रशिक्षण प्रमाण पत्र की मान्यता प्रारंभिक शिक्षकों के नियोजन के लिए नहीं है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के इस निर्देश को पटना हाईकोर्ट में संजय कुमार यादव एवं अन्य ने चुनौती दी। सीडब्यूजेसी द्वारा 18 माह के डीएलएल प्रशक्षिण की मान्यता शिक्षक नियोजन में दिए जाने की गुहार लगायी गयी थी। मामले पर सुनवाई करते हुए 21 जनवरी 2020 को आदेश पारित कर प्राथमिक निदेशालय के 11 सितम्बर के आदेश को रद्द (सेट एसाइड) करते हुए वादीगण को शिक्षक के पद पर नियोजन हेतु आवेदन देने के लिए एक माह की अवधि निर्धारित कर दी। कोर्ट ने वादीगण के शिक्षक के पद पर नियोजन के दावा पर विचार करने का आदेश दिया।
गौरतलब हो कि एक माह की यह अवधि 21 फरवरी को समाप्त हो जाएगी। इसबीच शिक्षा विभाग ने हाईर्को के आदेश पर विधि विभाग से परामर्श के बाद मंगलवार को नियोजन की निर्धारित कार्रवाई को तत्काल स्थगित कर दिया है। अधिसूचना में विभाग द्वारा कहा गया है कि वैधिक परामर्श के बाद नियोजन की कार्रवाई से संबंधित निर्देश पुन: निर्ग किया जाएगा।
राज्यभर में प्रारंभिक शिक्षकों के नियोजन को लेकर निर्धारित प्रक्रिया के तहत फिलहाल जिला द्वारा पंचायत एवं प्रखंड की मेधा सूची का अनुमोदन चल रहा था। इसके लिए 24 फरवरी तक की तारीख तय थी। मेधा सूची का अंतिम प्रकाशन 25 जनवरी तक ही होना था। 29 फरवरी तक मेधा सूची सार्वजनिक होती और 31 मार्च के पहले चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच कर उन्हें नियोजन पत्र दिया जाना था।