नई दिल्ली
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सैन्य सुधार के बड़े अजेंडे की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि बड़ी सैन्य खरीद के लिए भारत नई नीति पर चलेगा। इसके अलावा रावत ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अलग ‘थिएटर कमान’ बनाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है।
जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमानों सहित बड़े सैन्य साजो-सामान की खरीद की एक नयी नीति अपनाई जाएगी और घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित किया जाएगा। जनरल रावत ने कहा कि एक बार में ही बड़े रक्षा सौदे करने से एक अवधि के बाद ये साजो सामान (आगे चल कर) अनुपयोगी हो जाएंगे क्योंकि तकनीक काफी तेज गति से आगे बढ़ रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार 114 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए एक नई नीति का पालन करेगी, जनरल रावत ने कहा, ‘‘हां। यह नए ढांचे के तहत होगी।’ सीडीएस ने कहा कि सरकार घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नया रुख अपना रही है क्योंकि आयात पर पूर्ण निर्भरता ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे नहीं बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि बड़े सौदों के लिए अलग-अलग समय पर चीजों को करने के रुख को अपनाना होगा।
रावत ने कहा, ‘अगर हम 100 विमान खरीद रहे हैं तो इसे 25-25 के चार पैकेज में करना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि हमने सिर्फ 36 राफेल विमानों का आर्डर दिया है।’ हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या सरकार फ्रांस से और अधिक राफेल विमान खरीदेगी।
जम्मू कश्मीर में बनेगा ‘थिएटर कमान’
जनरल बिपिन रावत ने आगे बताया कि जम्मू-कश्मीर में अलग ‘थिएटर कमान’ बनाने की योजना पर काम चल रहा है। वायु रक्षा कमान अगले साल की शुरुआत में, जबकि पेनिसुलर कमान 2021 अंत तक शुरू की जाएगी। वायुसेना, वायु रक्षा कमान के अधीन आएगी। लंबी दूरी की सभी मिसाइलें और वायु रक्षा से जुड़ी संपत्ति इसके दायरे में होंगी। नौसेना की पूर्वी और पश्चिमी कमान का विलय ‘पेनिसुलर कमान’ में किया जाएगा।
देश में अभी केंद्रीय एकीकृत कमान नहीं है। वर्तमान में कुल 17 कमान हैं। इनमें से आर्मी और एयरफोर्स की 7-7 और नेवी की 3 कमान हैं। तीनों सेनाओं की कमान को एकीकृत कर संयुक्त थिएटर कमान बनाने की बात चल रही है। सीडीएस के मुताबिक, भारत के पास अलग प्रशिक्षण व सैद्धांतिक कमान और लॉजिस्टिक्स कमान भी होगी। उन्होंने कहा कि स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत के प्रदर्शन का आकलन करने के बाद नौसेना की तीसरे विमान वाहक पोत की मांग पर गौर किया जाएगा। हालांकि, नौसेना के लिए पनडुब्बियां प्राथमिकता है।