बरेली
हिंदू पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या बरेली में की जानी थी। हत्यारों से लेकर साजिशकर्ताओं के बरेली में कनेक्शन मिले हैं। कमलेश तिवारी भी छह और सात अक्टूबर में बरेली थे। रात भर रुकने के बाद वह मुरादाबाद चले गये। हिंदू वादी नेता पार्टी के विस्तार के सिलसिले में बरेली आये थे। हालांकि शूटर उस वक्त अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाये तो उन्होंने दस दिन बाद लखनऊ में घर जाकर कमलेश तिवारी की हत्या कर दी।
परिवार वालों के मुताबिक छह अक्टूबर को कमलेश तिवारी बरेली आये थे। अगस्त्य मुनि आश्रम में पार्टी के नेता केके शंखधार समेत कई पदाधिकारियों से उन्होंने मुलाकात की। उनके आने की सूचना हिंदू संगठनो और शिवसेना के नेताओं को दी गई थी। हालांकि ज्यादा लोग बैठक में नहीं पहुंच पाये थे। सात अक्टूबर को कमलेश तिवारी मुरादाबाद में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकल गये थे। आईएसआईएस समेत कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे कमलेश के पास कोई खास सुरक्षा नहीं थी। सूत्रों की मानें तो उन पर बरेली में ही हमला कर हत्या किये जाने की तैयारी थी, लेकिन किसी वजह से साजिशकर्ता इसको अंजाम नहीं दे पाये।
स्थानीय पुलिस ने न तो उन्हें कोई खास सुरक्षा और तवज्जो दी थी। कमलेश तिवारी के बरेली दौरे के बीच शहर में मौजूद साजिशकर्ताओं के मददगारों ने उनकी रेकी की थी। पहले बरेली में ही हत्या को अंजाम देने की योजना बनाई गई थी। लेकिन वे इस हत्याकांड के जरिये एक बडा़ सन्देश देना चाहते थे। इस वजह से कमलेश तिवारी की हत्या के लिये लखनऊ उनका खुद का घर और शुक्रवार (जुमा) का दिन चुना गया।
हत्यारों को सूरत से स्मार्ट फोन से मिल रहे थे निर्देश
कमलेश तिवारी के हत्यारे और साजिशकर्ता पुलिस से भी ज्यादा ‘स्मार्ट’ चल रहे थे। उनके पास एक स्मार्ट फोन है जो बीच-बीच में ऑन-ऑफ होता रहता था। साथ ही सूरत में उनके इस ऑपरेशन का 'कमांड सेंटर' बना हुआ है जहां से इस स्मार्ट फोन पर ही उन्हें फरमान भेजे जा रहे थे। इन निर्देशों पर काम करते हुए हत्यारे पुलिस और एसटीएफ से बच निकल रहे थे। इस आधार पर माना जा रहा है कि सूरत में हत्यारों के और भी मददगार छिपे हुए हैं।