भोपाल
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने आज यहाँ रविन्द्र भवन में अनुगूँज कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शासकीय स्कूलों के बच्चों में भी प्रतिभा है, आवश्यकता उन्हें सही अवसर, संसाधन एवं समुचित मार्गदर्शन देने की है। सही मार्गदर्शन मिलने पर ये बच्चे कला, खेल एवं अन्य क्षेत्रों में आगे आकर देश एवं प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। अनुगूँज की अभिनव पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर साबित होगी। वर्तमान सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने एवं बच्चों को शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी बच्चों को आगे बढ़ाने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। प्रत्येक तीन माह में पालक-शिक्षक बैठक, उमंग मॉड्यूल, कक्षा-साथी एप, स्टीम कान्क्लेव, शिक्षकों का प्रशिक्षण एवं एक्सपोजर विजिट सहित कई नवाचार किये जा रहे हैं। डॉ. चौधरी ने कहा कि नये सत्र से अनुगूँज जैसे कार्यक्रम प्रत्येक जिले में आयोजित करने की योजना है।
प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने अनुगूँज के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि हर बच्चे में प्रतिभा होती है और सही अवसर एवं मंच मिलने पर ये बच्चे भी नये आयाम स्थापित कर सकते हैं। अनुगूँज के पहले दिन 'धनक'' में भोपाल जिले की विभिन्न शासकीय शालाओं के लगभग 500 से अधिक बच्चे गायन, नृत्य एवं वादन प्रस्तुत करेंगे। बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त गुरूओं से मार्गदर्शन प्राप्त किया है। ये सभी गुरूजन भी शासकीय स्कूलों में ही पढ़े है।
अनुगूँज के प्रथम दिन धनक में बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दी। बच्चों के अद्भुत प्रदर्शन ने दर्शकों अभिभूत किया। ऐसी अद्भुत, अकल्पनीय और मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
पंचनाद
पंचनाद के रूप में तैयार बाद्य-वृन्द प्रस्तुति में पंचतत्वों को साकार किया गया। पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति, वायु का निर्बाध प्रवाह, जल की कल-कल निश्चल ध्वनि एवं अग्नि के तेज को दर्शकों ने अनुभव किया।
स्वर नांदी
सोलह शासकीय शालाओं के 90 विद्यार्थियों द्वारा प्रकृति के स्वरों को गीत एवं लय में पिरोकर आदिकाल से वर्तमान तक की नाद, लय, स्वर, ध्वनि, लोक संगीत, आदिवासी संगीत, शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत की अद्भुत प्रस्तुति दीं। बच्चों ने जिस निपुणता से आदिवासी संगीत प्रस्तुत किया, उससे भी अधिक कुशलता से 'एकला चलो रे' एवं अंग्रेजी गीत प्रस्तुत किया। साथ ही बच्चों ने हिन्दी के प्रसिद्ध कवि भवानी प्रसाद मिश्र की 'अक्कड़-मक्कड़' को बहुत ही सुरीले बालगीत के रूप में प्रस्तुत कर सभी का दिल जीता।
मल्लारी
भारतीय सांस्कृतिक इतिहास की प्राचीनतम् नृत्य शैली भरतनाट्यम को दस शासकीय विद्यालयों की 100 छात्राओं ने मल्लारी पारम्परिक मंगलाचरण के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें सभी के लिये मंगलकामना के साथ रंगमंच की स्तुति चारों दिशाओं एवं धरती आकाश और गुरू की स्तुति की। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त यह नृत्य हाल ही में मध्यप्रदेश के शिखर सम्मान से सम्मानित नृत्य गुरू डॉ. लता सिंह मुंशी ने तैयार कराया था।
पंचु पांडव नृत्य
शारीरिक नृत्य और अपने विशेष बॉडी मूवमेंट के लिये प्रसिद्ध उड़ीसा के मयूरभंज छाउ नृत्य को पाँच शासकीय शालाओं के पैंतालीस छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें गुरू द्रोणाचार्य अपने शिष्य पांडवों के युद्ध कौशल का अभ्यास देख प्रसन्न होते हैं। बच्चों ने अपने नृत्य में तीरंदाजी और अन्य युद्ध-विधाओं का प्रदर्शन किया।
मंगलम/मातृभूमि वंदना/नारायण नमन
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ओडिसी नृत्यांगना सुश्री बिन्दु जुनेजा द्वारा तैयार कराए गये इस नृत्य को मंगलम मातृभूमि वंदना एवं नारायण नमन के रूप में तीन भागों में प्रस्तुत किया गया। सर्वप्रथम सर्वमंगल कामना, मातृभूमि और ईर्ष्या की आराधना को ताल और लय के साथ पिरोया गया था। नारायण नमन का दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ जैसे दीपोत्सव मनाया जा रहा हो।
एकाकार नृत्य
भरतनाट्यम, कथक और समकालीन नृत्य शैलियों को आधार बनाकर एक संयुक्त प्रस्तुति को एकाकार नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसे 137 छात्र-छात्राओं ने बड़े ही आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया। मंच की सतह से हवा की ऊँचाईयों तक (एरियल एक्ट) आती-जाती नृत्य छटाएँ एवं अद्भुत प्रकाश संयोजन ने इस प्रस्तुति को अद्भुत स्वरूप दे दिया था।