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फेकीं गईं दवाएं हवाओं-पानी को बना रहीं जहरीला: फार्मा पलूशन

 
नई दिल्ली

प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर तो सरकार जागी है, लेकिन फार्मा पलूशन से निपटने के मामले में कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा है। गौरतलब है कि एक्सपायर (खराब) हो चुकी दवाओं और उनकी पैकिंग को लोग कचरे के साथ फेंक देते हैं। इनका सही तरह से निपटान न होने से ये दवाएं भूमिगत जल, जमीन और हवा को प्रदूषित कर रही हैं। साथ ही मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों में पैदा होने वाले कचरे के निपटारे के लिए भी सरकार की ओर से ठोस कानूनी इंतजाम नहीं किए गए हैं।

वित्तीय संस्थान नॉरडिया की एक स्टडी कहती है कि दवा कंपनियों से निकलने वाले रसायन और हैवी मेटल्स पानी और जमीन में जाने के बाद जल स्रोतों के जरिए आम जनता तक पहुंच रहे हैं। इससे काफी नुकसान हो रहा है क्योंकि यह हवा पानी को जहरीला कर रहे हैं।

हैदराबाद में हुई स्टडी
इस स्टडी के लिए खासकर हैदराबाद के दवा कंपनियों वाले इलाकों को चुना गया। स्टडी में पाया गया कि यहां पानी में लिक्विड और हैवी मेटल्स की मात्रा तय सीमा से बहुत ज्यादा थी। स्वास्थ्य कार्यकर्ता और पर्यावरणविद लंबे समय से इस संबंध में नियम बनाने की मांग कर रहे हैं। स्टडी कहती है कि यहां के पानी में हर रोज बड़ी मात्रा में दवाओं के अंश मिल रहे हैं।
 

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