भोपाल
मध्यप्रदेश के इतिहास में 3 फरवरी को बिजली की अधिकतम माँग का नया रिकार्ड बना है। राज्य के बिजली सेक्टर के इतिहास में पहली बार बिजली की एक दिन की अधिकतम माँग 14,555 मेगावाट दर्ज हुई है। विभाग द्वारा सफलतापूर्वक इसकी आपूर्ति भी की गयी। ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह ने एमपी पावर मैनेजमेंट, मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी, मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
राज्य में सात दिन से बिजली की अधिकतम मांग 14,000 मेगावाट के ऊपर दर्ज हो रही है। प्रदेश में लगातार बिजली की माँग बढ़ने का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में बढ़ोत्तरी और इससे सिंचाई के नए साधनों का बढ़ना, शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में बसाहट का फैलाव और जीवन स्तर में सुधार है।
इस रबी सीजन में बिजली की अधिकतम माँग के नित नए रिकार्ड कायम हो रहे हैं। पिछले वर्ष बिजली की अधिकतम माँग 5 जनवरी 2019 को 14,089 मेगावाट दर्ज हुई थी। इस रबी सीजन में 31 दिसम्बर, 2019 को इस रिकार्ड को पीछे कर बिजली की अधिकतम माँग 14,326 मेगावाट दर्ज हुई। प्रदेश में सात दिन अर्थात् 27 जनवरी को बिजली की अधिकतम माँग 14,201 मेगावाट, 28 जनवरी को 14,415 मेगावाट, 29 जनवरी को 14,373 मेगावाट और 31 जनवरी को 14,236 मेगावाट, एक फरवरी को 14,109 मेगावाट, 2 फरवरी को 14,232 मेगावाट और 3 फरवरी को 14,555 मेगावाट के ऊपर दर्ज हुई है।
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर एवं उज्जैन संभाग) में बिजली की अधिकतम माँग 5,741 मेगावाट, मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल एवं ग्वालियर संभाग) में 4,930 मेगावाट और मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, सागर एवं रीवा संभाग) में 3,884 मेगावाट दर्ज हुई।
प्रदेश में कैसे हुई बिजली सप्लाई- प्रदेश में जब बिजली की अधिकतम माँग 14,555 मेगावाट दर्ज हुई, उस समय बिजली की सप्लाई में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप एवं जल विद्युत गृहों का उत्पादन अंश 4,179 मेगावाट, इंदिरा सागर- सरदार सरोवर, ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना का अंश 2,090 मेगावाट, सेंट्रल सेक्टर का 3,225 मेगावाट, सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट का 1,356 मेगावाट, आईपीपी का 1,554 मेगावाट और अन्य स्त्रोतों से प्रदेश को अंश 2,151 मेगावाट प्राप्त हुआ।