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फर्रुखाबाद का ऑपरेशन मासूम: बच्चों के जेहन से नहीं निकल रहा खौफ का मंजर, रात में उठकर चीख पड़ते हैं

 मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद)  
घर के तहखाने में कैद 25 बच्चे मुक्त तो हो गए, पर उनके जेहन से वह खौफ का मंजर निकल नहीं पा रहा है। इनमें शामिल रहे कई मासूम रात में उठकर तेज-तेज रोने लगते हैं। परिवार के लोग उन्हें संभाल रहे हैं। गुरुवार (30 जनवरी) की वह काली रात याद कर परिजनों के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गांव की गलियों में खामोशी सी छाई है। बदमाश सुभाष के मारे जाने से गांव में सुकून तो है पर कहीं न कहीं लोगों में गुस्सा भी है।

घटना के दो दिन बीत चुके हैं। गांव में अभी भी खामोशी है। गलियों में सन्नाटे जैसी स्थिति दिखाई दे रही है। गांव में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की गाड़ियां दौड़ रही हैं। खेतों पर दो दिन से लोग काम करने के लिए भी नहीं गए हैं। गांव के पदम सिंह बताते हैं कि बच्चों के बंधक बनाए जाने से हर कोई चिंतित हो गया था। समझ में नहीं आ पा रहा था कि बच्चों को कैसे मुक्त कराया जाए। क्योंकि समय भी अधिक बढ़ता जा रहा था और बच्चों की भी आवाजें सुनाई नहीं दे रही थीं। सत्यभान ने बताया कि बेटी उन्हें सकुशल मिल गई है पर उसके मन में जो डर बैठ गया है, वह निकल नहीं रहा है। वह रात में रोते रोते एकदम उठ जाती है और चीखने लगती है। इसके अलावा अन्य जो पांच से आठ साल उम्र के बच्चे थे, वह अभी भी दहशत में है।

मासूम गौरी को थाने में मिली ममता की छांव
मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद)। पुलिस मुठभेड़ में ढेर हुए बदमाश सुभाष बाथम की एक साल की बेटी गौरी दो दिन से महिला कांस्टेबल सीमा की देखरेख में है। उसे जतन से पाल रही है। उसका हर काम वह मां की तरह अपनत्व से कर रही है। मम्मी-पापा कहकर गौरी रोती है तो उसे सीमा ही संभाल पाती है। बच्ची और किसी के पास जाती भी नहीं।गुरुवार रात बदमाश सुभाष और दूसरे दिन उसकी पत्नी की मौत के बाद अकेली पड़ी गौरी को बचाकर पुलिस मोहम्मदाबाद कोतवाली ले आई। यहां उसे महिला सिपाही सीमा को सौंप दिया गया है।

एसपी ने बच्चों का लिया हालचाल, परिजनों से की बात
मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद)। पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार मिश्र शनिवार सुबह करथिया गांव पहुंचे। जो बच्चे कैद थे, उनसे बातचीत की। उनके परिजनों से भी मिले। एसपी ने बच्चों की फोटो कराई और वीडियो बनवाया। बच्चे बोले-तहखाने में बहुत डर लग रहा था। पुलिस अंकल ने आकर बचा लिया। 

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